Motivational Concept: प्रोत्साहन से जल उठा दीप
punjabkesari.in Saturday, Oct 15, 2022 - 12:29 PM (IST)

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चाल्र्स डिकन्स बहुत ही गरीब परिवार में जन्मा था। हर प्रकार का अभाव उसके घर में था। इतनी गरीबी में भी पिता ने उसे अध्ययन के लिए स्कूल भेजा। वह चार वर्ष तक ही स्कूल में पढ़ सका क्योंकि पिता ने कर्ज लिया था पर वह कर्ज इतना बढ़ गया था कि कठिन परिश्रम करके भी वह उसे नहीं चुका पाया था। कर्ज न चुकाने के कारण उसके पिता को जेल हो गई। घर में अब कमाने वाला नहीं रहा। सारा परिवार भूखों मरने लगा।
चाल्र्स को पढ़ाई छोड़नी पड़ी। पढ़ाई छोड़कर वह एक कम्पनी में काम करने लगा। उसका काम था एक गोदाम में लेबल चिपकाने का। वह गोदाम लंदन की एक अंधेरी कोठरी में था जिसमें अत्यधिक चूहे थे।
चाल्र्स डिकन्स को प्रारंभ से ही निबंध लिखने की रुचि थी। वह जो भी लिखता उसे छुपाकर रख देता था जिससे कि उसे पढ़कर कोई उसका मजाक न उड़ाए।
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चाल्र्स के साथ दो अन्य लड़के भी रहते थे। उन दोनों के सो जाने के पश्चात चाल्र्स उठता और निबंध लिखता और उसे तहखाने में छिपा देता था। किसी को भी पता नहीं था कि वह निबंध लिखता है।
कोठरी में रहने वाले एक लड़के ने उसका एक निबंध एक पत्रिका में भेज दिया और वह उसमें प्रकाशित हो गया। उसमें सम्पादकीय टिप्पणी भी लिखी थी कि चाल्र्स का मस्तिष्क निबंध लिखने में बहुत ही तेज है। चाल्र्स एक बहुत अच्छा लेखक बन सकता है।
चाल्र्स ने पहली बार जब अपना निबंध प्रकाशित हुआ देखा तो उसे अत्यधिक प्रसन्नता हुई। सम्पादक के प्रोत्साहन से उसके जीवन में अपूर्व उत्साह का संचार हो गया। उसका बुझा हुआ दीपक प्रोत्साहन से जल उठा और वह अपने युग का एक महान निबंध लेखक बन गया।
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