Inspirational Concept: सहनशक्ति में सफलता है

punjabkesari.in Monday, Oct 10, 2022 - 11:38 AM (IST)

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दौरे से वापस आया तो बड़े भाई साहब का फोन मिला। तीन दिन हो गए नीरजा आई हुई है। आठ महीने पहले ही नीरजा की शादी हुई थी। नीरजा भाई साहब की इकलौती बेटी है। नाम के अनुरूप ही सुज्ञ और समझदार। पता नहीं वह ससुराल में क्यों खुश नहीं थी। जब भी उससे फोन पर बात करता वह रो पड़ती। 

भाई साहब के घर गया तो नीरजा मेरे गले लग कर रो पड़ी। वह काफी कमजोर लग रही थी और बार-बार यह दोहरा रही थी कि मुझे वापस नहीं जाना। एक ही रट लगा रखी थी, मैंने उसे समझाना चाहा तो बोली सास बात-बात पर ताने देती रहती है, हर काम में टोकती है, मुझसे नहीं सहा जाता अब। मैंने उसे समझाया कि एक दूसरे को समझने में वक्त लगता है। धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। वहां कुछ नहीं सुधरेगा चाचा जी! वह रो पड़ी। उसका मन बहलाने के लिए मैं उसे बाहर लॉन में ले गया।

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टहलते हुए उसके साथ इधर-उधर की बातें करने लगा, तभी नीरजा का ध्यान कुछ मुरझाए हुए पौधों की ओर गया, वह बोली माली काका-जो पौधे आप परसों रोप कर गए थे, वे तो मुरझाए जा रहे हैं, सूख जाएंगे तो बुरे लगेंगे, इन्हें उखाड़ कर फैंक दो। माली ने कहा नहीं बिटिया ये सूखेंगे नहीं। 

ये नर्सरी में पैदा हुए थे, इन्हें वहां से उखाड़ कर यहां लगाया है नई जगह है, जड़ें जमाने में थोड़ा समय तो लगेगा ही। माली की बात सुनकर नीरजा किसी सोच में डूब गई। थोड़ी देर बाद वह ससुराल जाने की तैयारी करने लगी।


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Content Writer

Jagdeep Singh

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