‘बचपन की मुश्किलों को न दें दोष’

punjabkesari.in Thursday, Dec 31, 2020 - 04:43 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
1940 में विल्मा रुडॉल्फ समय से पहले ही पैदा हो गई थीं। उनका वजन सिर्फ चार पौंड था और बचपन में वे बहुत बीमार रहती थीं। चार साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया। उनका बायां पैर मुड़ गया और उन्हें 9 साल की उम्र तक पैर में पट्टा पहनना पड़ा। फिर दो और साल तक उन्हें विकलांग चिकित्सा वाला जूता पहनना पड़ा। 

शारीरिक थैरेपी की बदौलत रुडॉल्फ आखिरकार बारह साल की उम्र में सामान्य रूप से चल सकीं और जिंदगी में पहली बार वे अपने स्कूल की खेल टीम में शामिल हुई थीं। तब उन्हें दौडऩे के प्रति अपने प्रेम और योग्यता का पता चला। वह प्रशिक्षण लेने लगीं। सोलह साल की उम्र में उन्हें 1956 की ओलिम्पिक टीम में जगह मिल गई और वह टीम की सबसे युवा सदस्य थीं, जिसने 4 गुणा 100 रिले में कांस्य पदक जीता। घर लौटकर रुडॉल्फ अगले ओलिम्पिक के लिए प्रशिक्षण लेने लगीं। 

उन्होंने टैनेसी स्टेट यूनिवॢसटी में नाम लिखाया और दौड़ती रहीं। 1960 के ओलिम्पिक में रुडॉल्फ एक ही ओलिम्पिक खेल में तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली अमरीकी महिला बनीं। उन्हें ‘इतिहास का सबसे तेज महिला’ का खिताब दिया गया। रुडॉल्फ बाइस वर्ष की उम्र में प्रतिस्पर्धा से रिटायर हो गईं।

हालांकि कई लोग अपनी समस्याओं के लिए बचपन की मुश्किलों को दोष देते हैं लेकिन रुडॉल्फ ने निश्चित रूप से ऐसा नहीं किया। हालांकि 1994 में रुडॉल्फ की मृत्यु हो गई लेकिन उनकी विरासत आज भी कायम है और वे आज भी खिलाडिय़ों की नई पीढिय़ों को प्रेरणा दे रही हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News