खुद पर रखेंगे यकीन तो, हकीकत में बदल जाएगा हर सपना

punjabkesari.in Saturday, Apr 18, 2020 - 08:55 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महात्मा गांधी जब पहली बार कस्तूरबा और दोनों बच्चों को अपने साथ दक्षिण अफ्रीका ले जाने के लिए बंबई से निकले, तो किसी को नहीं पता था कि यह यात्रा इतिहास बदलने वाली होगी। कस्तूरबा को तो यह भी नहीं पता था कि उस देश में गांधी की हैसियत क्या है। उन्हें तो बस परिवार के एक साथ रहने और घर चलाने की फिक्र थी। बंबई से पानी का जहाज चला तो रास्ते में भयंकर समुद्री तूफान में उलझ गया। सबने देखा कि इतनी विकट स्थिति में गांधी जी सभी यात्रियों को किस्से-कहानी सुना-सुनाकर हौसला बढ़ा रहे थे। तूफान ठहरा, जहाज 44 दिन बाद गंतव्य तक पहुंचा।

दक्षिण अफ्रीका के तट पर डरबन जाने वाले भारतीयों का यह जहाज रुका तो वहां के प्रशासन ने अचानक सबको नीचे उतरने से रोक दिया। वजह दो महीने पहले बंबई में फैले प्लेग की बताई गई। प्रशासन का कहना था कि यह जहाज बंबई से चला है इसलिए इन यात्रियों को क्वारंटाइन में रहना होगा और जब तक ऑर्डर न मिल जाए, कोई जहाज से नहीं उतर सकता। कई दिन तक गांधी जी लोगों को हालात से लडऩे का हौसला देते रहे।

हफ्ते भर बाद गांधी जी को पता चला कि यह गोरों की साजिश थी। अंग्रेज किसी भी हालत में गांधी जी के पैर दूसरी बार दक्षिण अफ्रीका में नहीं पडऩे देना चाहते थे, इसलिए प्लेग संक्रमण से क्वारंटाइन का बहाना बनाया। गांधी जी ने बीमारी के प्रतिबंध का सम्मान किया, मगर जब निकल कर डरबन में पैर रखा, तभी तय कर लिया कि अब गोरों से निर्णायक लड़ाई का वक्त आ गया है, जिसका परिणाम सारे संसार ने देखा। गांधी जी के हर कदम ने हमें बताया कि मुश्किल वक्त कैसे काटें। तरीका यही है कि धैर्य, साहस और सब कुछ ठीक कर लेने की उम्मीद के साथ खुद पर यकीन रखें, चाहे क्वारंटाइन कितना ही लंबा हो।
 


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Jyoti

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