Inspirational Story: ‘संघ’ के कर्मठ नेता गुरु गोलवलकर

punjabkesari.in Friday, Apr 09, 2021 - 05:48 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
1940 में जब देश को स्वतंत्र करवाने का आंदोलन पूरे यौवन पर था, तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बागडोर संभाल कर अपने 33 साल के कार्यकाल में लगभग 70 बार देश का भ्रमण कर इसे वट वृक्ष का रूप देने वाले दूसरे संघचालक माधव राव सदाशिवराव गोलवलकर उर्फ गुरु जी ने संघ को दुनिया के पहले गैर-सरकारी स्वयंसेवी संगठन का दर्जा दिलवाया। उन्होंने विकट परिस्थितियों में संगठन का नेतृत्व संभाल कर देश की आजादी की लड़ाई के दौरान और आजादी के बाद विदेशी आक्रमणों में स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन कर भारतीय सेना की हर प्रकार से सहायता की। इस महान विभूति का जन्म नागपुर में 19 फरवरी, 1909 को पिता सदाशिवराव और मां लक्ष्मी बाई के यहां हुआ। हर कक्षा में प्रथम रहने वाले माधव राव एम.एस.सी. करने के बाद शोध कार्य के लिए मद्रास चले गए परंतु वहां की जलवायु रास न आई और वापस आकर काशी विश्वविद्यालय में अध्यापन करने लगे जिससे ये ‘गुरुजी’ कहलाने लगे।

यहीं इनकी भेंट संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार से हुई जो धीरे-धीरे मित्रता में बदल गई। इसी दौरान मां-बाप के आग्रह पर काशी से वापस नागपुर आकर वकालत की और ज्यादा समय डॉक्टर हेडगेवार के साथ संघ कार्य के लिए भ्रमण में बिताने लगे। डॉक्टर हेडगेवार ने इनकी योग्यता को देखते हुए धीरे-धीरे संघ कार्य की जिम्मेदारी देनी शुरू की और 1939 में उन्हें सरकार्यवाह नियुक्त किया। डा. हेडगेवार के निधन के बाद 3 जुलाई, 1940 को नागपुर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में  इन्हें सरसंघचालक का दायित्व सौंपा गया जिसके बाद उन्होंने देश में घर-घर जाकर आजादी की लड़ाई लड़ रहे कार्यकत्र्ताओं का मार्गदर्शन किया और उजड़ कर आए ङ्क्षहदुओं के पुनर्वास का प्रबंध करवाया।

1965 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई के समय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इन्हें बुलाकर देश की स्थिति पर विचार-विमर्श कर सहयोग मांगा तो प्रधानमंत्री को पूर्ण सहयोग का आश्वासन देकर स्वयंसेवकों को भारतीय सेना की हर प्रकार से सहायता करने का आदेश दिया और स्वयंसेवकों ने जान जोखिम में डालकर सेना के बंकरों तक खाना और हथियार पहुंचाए।  संघ कार्य के लिए कड़ी मेहनत और भ्रमण के कारण इन्हें कैंसर ने अपनी चपेट में ले लिया और 5 जून, 1973 को रात्रि 9.05 बजे इनका देहांत हो गया। —सुरेश कुमार गोयल 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News