Mesh Sankranti 2025: इस दिन होगा खरमास का समापन, जल्द ही शुरू होगा शुभ कामों का दौर
punjabkesari.in Sunday, Apr 06, 2025 - 08:46 AM (IST)

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Mesh Sankranti 2025: मेष संक्रांति का पर्व सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के समय को दर्शाता है। जब सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करता है, तब इसे मेष संक्रांति कहते हैं। यह दिन न केवल हिन्दू धर्म के लोग बल्कि पूरे भारत में विभिन्न संस्कृतियों द्वारा विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन को न केवल एक धार्मिक पर्व के रूप में मनाया जाता है बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है। मेष संक्रांति का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है। इस दिन सूर्य का मेष राशि में प्रवेश होता है,जो की एक नया चक्र और नवजीवन का प्रतीक होता है। इस दौरान सूर्य देव मीन राशि में विराजमान हैं और खरमास चल रहा है। खरमास में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। जैसे ही सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करेंगे, इसके साथ ही खरमास का समापन हो जाएगा।
Mesh Sankranti Shubh Muhurat मेष संक्रांति तिथि और शुभ मुहूर्त
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार 14 अप्रैल को मेष संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा।
पुण्य काल- सुबह 5 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक
महा पुण्य काल- सुबह 5 बजकर 57 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 05 मिनट तक।
मेष संक्रांति शुभ योग
इस बार की मेष संक्रांति बेहद ही खास है, इस दिन अभिजीत मुहूर्त का निर्माण होगा। ये योग 11:56 मिनट से लेकर 12:47 मिनट तक है। इसके अलावा कौलव, तैतिल और गर करण के संयोग भी बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस योग में पूजा-पाठ, स्नान-दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मेष संक्रांति के दिन विशेष धार्मिक अनुष्ठान और कार्य
इस दिन गंगाजल से स्नान करने और पवित्र नदी में स्नान करने का महत्व है। इसके साथ ही तिल, कपड़ा, आहार और दान का महत्व बहुत ज्यादा है। इस दिन विशेष रूप से तिल, गुड़, वस्त्र और अनाज का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन उबटन करने और स्नान करने से न केवल शारीरिक शुद्धि होती है बल्कि मानसिक शांति भी मिलती है। लोग इस दिन गंगाजल और तिल के तेल से उबटन करते हैं, जो पुण्य और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
तिल और गुड़ खाने से शीतकाल के मौसम से राहत मिलती है। यह शरीर को गर्माहट और ऊर्जा प्रदान करता है। साथ ही, इस दिन तिल से बनी मिठाइयां जैसे तिल लड्डू, तिलकूट आदि भी बनाए जाते हैं, जिन्हें परिवार और मित्रों के बीच बांटा जाता है।
इस दिन सूर्य देव की पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। लोग सूर्य देव की उपासना करते हैं और सूर्यमंत्र का जाप करते हैं। सूर्य के साथ-साथ विष्णु और शिव की पूजा भी की जाती है, ताकि समृद्धि, शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति हो।
सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से मानसिक शांति और सुख की अनुभूति होती है।