दैत्यों का संहार कर यहां पर विराजित हुई थी मां काली, इनके नाम पर पड़ा शहर का नाम

punjabkesari.in Saturday, Dec 17, 2016 - 12:01 PM (IST)

दिल्ली-शिमला रोड पर कालका नामक जंक्शन है। यहीं पर भगवती देवी कालिका का प्राचीन मंदिर है। काली माता के नाम पर ही शहर का नाम कालका पड़ा था। माना जाता है कि सतयुग में महिषासुर, चंड-मुंड, शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज आदि शक्तिशाली दैत्यों का आतंक बढ़ गया था। जिससे समस्त लोकों में हाहाकार मचा हुआ था। यहां तक की देवता भी दैत्यों से भयभीत होकर कंदराओं में जाकर छिप गए। इस संकट की घड़ी से उबरने के लिए सभी देवतागणों ने इकट्ठे होकर मां जगदंबा की स्तुति करी। अपने भक्तों की स्तुति से खुश होकर माता बालक रूप में प्रकट हुईं।

 

देवताओं ने मां के समक्ष अपना दुख व्यक्त किया। देवताओं का दुख सुनकर माता ने अपने स्वरूप को विराट रूप दिया, जिसके अनेकों हाथ और पांव थे। सभी देवाताओं ने मां जगदंबा को अपना एक-एक शस्त्र उपहार स्वरूप दिया। श्री हरि ने चक्र, भोलेनाथ ने त्रिशूल, ब्रह्मा जी ने कमंडल, इंद्र ने वज्र, शेषनाग ने शेषफांस, यमराज ने यमफांस आदि शस्त्र माता को अर्पण किए।

 

अस्त्रों-शस्त्रों से सुसज्जित होने के बाद मां ने युद्धभूमि में दैत्यों को ललकारा और एक- एक कर सभी का संहार करने लगी। तीनों लोकों को दैत्यों से मुक्त करने के बाद माता जगदंबा रणभूमि में उतरी और महिषासुर सहित अन्य दैत्यों का संहार करके कालका भूमि स्थल पर स्थित हुईं, जो कालांतर में कालका काली माता के नाम से प्रसिद्ध है।

 

इस पवित्र मंदिर में मां के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है विशेष तौर पर नवरात्र और शनिवार के दिन बहुत लम्बी-लम्बी कतारें लगती हैं। मां के दर्शन कर भक्त मनचाही मुरादें पाते हैं।


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