उत्तर भारत का अकेला मन्दिर, एक ही चट्टान से बना चौदह मंदिरों का समूह !
punjabkesari.in Monday, Jan 11, 2021 - 11:22 AM (IST)


बाद में किसी ने राजा को निकाला परन्तु जब राजा को सारे घटनाक्रम का पता चला तो उन्होंने नया नगर बसाया, जिसे हरिपुर के नाम से जाना जाने लगा। हरिपुर की रानी तारा की कथा देवी मां के जागरण में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। यहां आज भी पुराना किला और बहुत से ऐतिहासिक मन्दिर, तालाब आदि मौजूद हैं।
कुछ दिन पूर्व जब हरिपुर के स्थानीय युवा बाणगंगा नदी (बनेर खड्ड) के किनारे सफाई कर रहे थे तो उन्हें यहां चट्टान को तराश कर बनाई गई एक संरचना मिली। यह एक मकाननुमा ढांचा है, जिसमें लगभग 20 फुट लम्बा बरामदा और अंदर की ओर 3 कमरे बने हैं। इसके ऊपर एक और खुला कक्ष है। बरामदे के ऊपर छोटे-छोटे छेद बनाए गए हैं, जो इस ढांचे की सुंदरता को और निखारते हैं। बरामदे की दीवारों पर नक्काशी की गई है। कहीं फूलदान, कहीं नर्तकी, कहीं खिड़कियों के डिजाइन उकेरे गए हैं। कमरों के प्रवेश द्वारों के ऊपर कुछ अस्पष्ट से शब्द अंकित हैं। बरामदे के फर्श पर चौसर आदि खेलने के लिए चिह्न बनाए गए हैं तथा कुछ रेखाएं खींची गई हैं।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि इस स्थान की खोज वास्तव में आश्चर्य से कम नहीं थी। जब युवा साथी यहां से झाड़िया काटने लगे तो चट्टान के साथ कुछ गुफा जैसे ढांचे का आभास हुआ। फिर धीरे-धीरे सावधानी से मिट्टी हटाने का कार्य किया गया।
स्थानीय लोगों के अनुसार कार्य कठिन और चुनौती भरा था। मिट्टी हटाते समय किसी जानवर, जैसे अजगर आदि के जानलेवा हमले की भी आशंका थी, परन्तु युवा मित्र जोश तथा होश के साथ योजनाबद्ध ढंग से कार्य करते रहे। कुछ ही समय के उपरांत एक मकान के बरामदे जैसी संरचना सामने थी। सबकी आंखें खुशी से चमक उठीं। अगले चरण में थोड़ा और अंदर जाकर कमरा ढूंढा गया।
इसी प्रकार दो और कमरे बरामदे के दोनों ओर भी मिले। मिट्टी जब पूरी तरह हटा दी गई तो चट्टान के अंदर बने इस भवन का रूप और भी अधिक निखर आया। दीवारों की नक्काशी और चित्र स्पष्ट हुए।
दीवार पर चित्रित एक फूलदान के चटक रंग को देख कर लगता है जैसे अभी कुछ ही दिन पूर्व इसे बनाया गया हो। इतनी सफाई से भवन को तराशा गया है कि लगता ही नहीं कि यह एक चट्टान के अंदर है। छत एकदम सपाट समतल है। बहुत से डिजाइन भी कारीगरी की अनूठी मिसाल हैं।
यहां से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध मसरूर मन्दिर है, जो वास्तव में एक ही चट्टान को काटकर बनाए गए चौदह मंदिरों का समूह है और उत्तर भारत में अपनी तरह का अकेला ऐसा मन्दिर है। हरिपुर की यह संरचना भी उसी प्रकार चट्टान को अन्दर से तराशकर बनाई गई है। सड़क के नजदीक होने के कारण इस चट्टान तक पहुंचना बहुत सरल है। यदि इस संरचना पर शोध किया जाए तो अवश्य ही इतिहास का कोई नया पक्ष सामने आएगा। इसके साथ ही कांगड़ा का यह दूसरा मसरूर पर्यटन के मानचित्र पर भी अंकित किया जा सकेगा।