Masik Shivratri shubh muhurat: मासिक शिवरात्रि की रात ग्रहों के मंगलमय संयोग में करें अर्धनारीश्वर की पूजा, दुख-दरिद्रता का होगा नाश
punjabkesari.in Wednesday, Sep 17, 2025 - 02:33 PM (IST)

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Masik Shivratri 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना का विशेष अवसर होता है। वर्षभर में 12 मासिक शिवरात्रियां आती हैं। इस दिन व्रत और पूजन करने से भगवान शिव साधक की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और जीवन से दुख-दरिद्रता, नकारात्मकता, भय तथा बाधाओं का नाश होता है। विवाहित दंपतियों के लिए यह व्रत दांपत्य जीवन को सुखमय बनाता है, वहीं अविवाहित कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए इसे करती हैं। इस व्रत को करने से आयु, स्वास्थ्य, धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
Importance of Monthly Shivratri मासिक शिवरात्रि का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि मासिक शिवरात्रि की रात्रि उपवास और जागरण करने से पापों का क्षय होता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। यह साधक की साधना शक्ति को बढ़ाती है तथा जीवन में आंतरिक शक्ति और संतुलन प्रदान करती है। अतः मासिक शिवरात्रि केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Monthly Shivratri auspicious time मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त
19 सितंबर को रात 11:36 पर अश्विन कृष्ण चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी। 21 सितंबर की आधी रात 12:16 पर समाप्त होगी। मासिक शिवरात्रि पर रात के समय पूजा किए जाने का विधान है। अत: 19 सितंबर को अश्विन मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी। 11:51 बजे से 12:38 बजे तक रात्रि निशा काल पूजा करने का शुभ समय रहेगा। वैदिक पंचांग के अनुसार, अश्विन शिवरात्रि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, अमृत योग और अमृत सिद्धि शुभ योग बनेंगे। अभिजीत मुहूर्त और मघा नक्षत्र के मंगलमय संयोग में अर्धनारीश्वर की पूजा करने वाले साधक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी।
Monthly Shivaratri fast and worship method मासिक शिवरात्रि व्रत और पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि की सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। उपवास रखकर मन, वाणी और आचरण की पवित्रता का ध्यान रखें। रात्रि के समय शिव मंदिर जाकर अथवा घर पर शिवलिंग की स्थापना करके जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगा जल से अभिषेक करें। बेलपत्र, धतूरा, आक के पुष्प, चंदन और भस्म अर्पित करें। साथ में ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप रात्रि भर करें। इससे साधक को मानसिक शांति और दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।