आप भी अपने बच्चों को जरूर सिखाएं ये खास मंत्र, संस्कारों से नहीं रहेंगे वंचित

punjabkesari.in Thursday, Aug 19, 2021 - 05:17 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
वर्तमान समय की बात करें तो आज कल के बच्चे को अपने शास्त्र आदि के बारे में अधिकतर ज्ञान नहीं है। यही कारण हैं बच्चों में संस्कारों की कमी देखी जाती है। ऐसे में कहा गया है कि खासतौर पर वर्तमान समय में यह बहुत आवश्यक हो गया है। ताकि आज कल के बच्चों को अपनी संस्कृति के बारे में अच्छी तरह से जान सके। तो चलिए आज जानते हैं पुराणों में वर्णित कुछ ऐसे मंत्र व श्लोकों के बारे में जिन्हें बच्चों के लिए जानना बेहद जरूरी माना गया है। कहा जाता है  इन मंत्र व श्लोक को बच्चों को जरूर सिखाना चाहिए, ताकि विपरीत परिस्थिति से लड़ने की हिम्मत आ सके। 

यहां जानें ये मंत्र व श्लोक- 

हमारे पुराणों में वर्णित मंत्र-श्लोक अपने बच्चों को जरूर सिखाएं,जीवन की विपरीत परिस्थिति में इनके स्मरण से शक्ति मिलती है....
1.प्रात: कर-दर्शनम्
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥

2.पृथ्वी क्षमा प्रार्थना
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडिते।
विष्णु पत्नि नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमस्व मे॥

3.त्रिदेवों के साथ नवग्रह स्मरण
ब्रह्मा मुरारी स्त्री पुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र: शनि राहु केतव: कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्॥

4.स्नान मंत्र
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलेस्मिन् सन्निधिं कुरु॥

5.सूर्य नमस्कार
ॐ सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च।।
आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम्
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्॥

ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ सूर्याय नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मरीचये नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सवित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥

6.संध्या दीप दर्शन
शुभं करोतु कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योति नमोऽस्तु ते॥

दीपो ज्योतिः परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते॥

7.गणपति स्तोत्र
गणपति: विघ्नराजो लम्बतुंडो गजानन:।
द्वै मातुरश्च हेरम्ब एकदंतो गणाधिप:॥
विनायक: चारुकर्ण: पशुपालो भवात्मज:।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्॥
विश्वं तस्य भवेद् वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय।
लम्बोदराय विकटाय गजाननाय॥
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय।
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजं।
प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये॥

8.आदिशक्ति वंदना
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
 


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Content Writer

Jyoti

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