व्यक्तित्व की DEVELOPMENT के लिए बनाएं अपने दिल खूबसूरत

punjabkesari.in Thursday, Aug 08, 2019 - 09:37 AM (IST)

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जीवन यानी संघर्ष, यानी ताकत, यानी मनोबल। मनोबल से ही व्यक्ति स्वयं को बनाए रख सकता है वर्ना करोड़ों की भीड़ में अलग पहचान नहीं बन सकती। सभी अपनी-अपनी पहचान के लिए दौड़ रहे हैं, चिल्ला रहे हैं। कोई पैसे से, कोई अपनी सुंदरता से, कोई विद्वता से, कोई व्यवहार से अपनी स्वतंत्र पहचान के लिए प्रयास करता है पर पहचान चरित्र के बिना नहीं बनती। बाकी सब अस्थायी है। चरित्र यानी हमारा आंतरिक व्यक्तित्व, एक पवित्र आभामंडल, स्थिर एवं शांत चित्त। शांत और स्थिर दिमाग बेहतर काम करता है।
PunjabKesari, Meditation
निरंतर बेचैनी काम नहीं आती। न हम वह कर पाते हैं, जो करना चाहते हैं और न ही वह, जिसकी दूसरे हमसे अपेक्षा कर रहे होते हैं। समस्याएं कैसी भी हों, हमारा संतुलित एवं व्यवस्थित न होना समस्याओं को बढ़ा देता है। लेखक एकहार्ट टोल कहते हैं, ‘‘हमारी भीतरी दुनिया जितनी सुलझी हुई होती है, बाहरी दुनिया उतनी ही व्यवस्थित होती चली जाती है।’’

साफ है कि अगर हम भीतर से उलझे हैं तो हमारी बाहरी दुनिया भी उसी तरह उलझती चली जाएगी।

यह सही है कि शक्ति और सौंदर्य का समुचित योग ही हमारा व्यक्तित्व है पर शक्ति और सौंदर्य आंतरिक भी होते हैं, बाह्य भी होते हैं। धर्म का काम है आंतरिक व्यक्तित्व का विकास। इसके लिए मस्तिष्क और हृदय को सुंदर बनाने की जरूरत होती है। यह सद्विचार और सदाचार के विकास से ही संभव है। इसके लिए आध्यात्मिक चेतना का विकास आवश्यक है।
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मदर टेरेसा ने कहा था, ‘‘जो भी आपके पास आए, वह पहले से कुछ बेहतर और खुश होकर लौटे। ईश्वर की करुणा आपके रूप में झलकनी चाहिए। आपका चेहरा, आंखें, मुस्कान और बातचीत सब में करुणा होनी चाहिए।’’

जिस प्रकार अहं का पेट बड़ा होता है, उसे रोज कुछ न कुछ चाहिए उसी प्रकार चरित्र को भी रोज संरक्षण चाहिए। 
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Jyoti

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