Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति के हैं भिन्न-भिन्न रूप, पढ़ें कुछ रोचक बातें
punjabkesari.in Thursday, Jan 14, 2021 - 06:04 AM (IST)
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What are the activities of Makar Sankranti: मकर संक्रांति के दिन सूर्य की कक्षा में हुए बदलाव को अंधकार से प्रकाश की तरफ हुआ बदलाव माना जाता है। मकर संक्रांति से ही दिन के समय में बढ़ौतरी होती है। इसलिए भारतीय ज्योतिष की गणनानुसार मकर संक्रांति ही बड़ा दिन है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर प्रस्थान करता है और कांपते, ठिठुरते शीत पर धूप की विजय यात्रा आरंभ होती है। इस भांति प्रकाश में बढ़ौतरी होती है। लोगों को कामकाज के लिए अधिक समय मिलने लगता है। इसी पर एक कहावत प्रसिद्ध है :
बहुरा के दिन लहुरा, खिचड़ी के दिन जेठ यानि भादों कृष्ण पक्ष चौथ
What is the duration of Makar Sankranti: (बहुरा चौथ) से दिन छोटा होने लगता है तथा मकर संक्रांति से दिन बड़ा होने लगता है। यही कारण है कि मकर संक्रांति को पूरे भारत वर्ष में त्यौहार के रूप में मनाते हैं।
Things To Know About Makar Sankranti: यह त्यौहार पूरे भारत वर्ष में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे ‘खिचड़ी पर्व’ कहते हैं। मकर संक्रांति के मौके पर गंगा-यमुना या पवित्र सरोवरों, नदियों में स्नान कर तिल-गुड़ के लड्डू एवं खिचड़ी देने और खाने की रीति रही है। लड़की वाले अपनी कन्या के ससुराल में मकर संक्रांति पर मिठाई, रेवड़ी, गजक तथा वस्त्रादि भेजते हैं। उत्तर भारत में नववधू को पहली संक्रांति पर मायके से वस्त्र, मीठा तथा बर्तन आदि भेजने का रिवाज है। गुजरात में संक्रांति के दिन तिल गुड़ खाने की परम्परा है साथ ही पतंगबाजी भी यहां खूब प्रचलित है। पतंग उड़ाना भी शुभ मानते हैं। गुजरात में प्रति वर्ष इस समय पतंग उत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
Happy makar sankranti: असम में ‘भोगाली बिहू’ तो तमिल लोग इसे ‘पोंगल’ के रूप में मानते हैं। सुख सम्पत्ति तथा संतान की कामना हेतु मनाया जाने वाला तमिलनाडु का त्यौहार ‘पोंगल’ मकर संक्रांति का ही प्रतीक है। लोगों के सांस्कृतिक जीवन के साथ पारंपरिक रूप से जुड़ा पोंगल ही एक ऐसा त्यौहार है जिसे मद्रास या चेन्नई (तमिलनाडु) के सभी वर्गों के लोग धूमधाम से मनाते हैं। उड़ीसा और बंगाल में इसे ‘बिशु’ कहते हैं तो उत्तराखंड में ‘घुघुतिया’ या ‘पुसुडिया’ के नाम से जाना जाता है।
Surya mantra: मकर संक्रांति के दिन धरती के साक्षात भगवान सूर्य नारायण की पूजा का बहुत महत्व है। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए। सूर्य देव जी ज्ञान, सुख, स्वास्थ्य, पद, सफलता, प्रसिद्धि के साथ-साथ सभी आकांक्षाओं को पूरा करते है।
सूर्य अर्घ्य मन्त्रः
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते । अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।।
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