Mahashivratri 2022: इस मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक करती हैं सागर की लहरें
punjabkesari.in Tuesday, Mar 01, 2022 - 04:54 PM (IST)
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आज देश भर में बहुत धूम धाम से मनाया जा रहा है। इसी बीच हम आपको बताने जा रहे हैं शिव जी के अद्भुत मंदिर के बारे में। जी हां हम बात करने जा रहे हैं गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से तीन कि. मी. अंदर स्थित अरब सागर में निष्कलंक महादेव मंदिर के बारे में।
जिसकी खूबसूरती को देख हर कोई इसकी ओर आकर्षित हो जाता है। बता दें भोलेनाथ के इस प्रसिद्ध स्थल की खास बात ये है कि यहां अरब सागर की लहरें रोज पांच शिवलिंगों का जलाभिषेक करती हैं। कहा जाता है शिवलिंग के पास ही एक कुंड भी है, जिसमें अक्षय तृतीया के दिन स्वं गंगाजी प्रकट होती हैं। इस दिन यहां स्नान करने का बहुत महत्व बताया जाता है।
इस मंदिर के दर्शन मात्र से आप भगवान के प्रति खुद व खुद समर्पित हो जाएंगे। लेकिन अरब सागर में स्थित इस मंदिर के दर्शन करने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ता है। यहां हर रोज दोपहर 1 बजे से रात 10 बजे तक भक्तों को शिवलिंग का दर्शन करने के लिए समुद्र रास्ता देता है, इसके बाद आप शिवलिंग के दर्शन नहीं कर सकते।
दरअसल जब ज्वार ज्यादा होती हैं, तब केवल मंदिर की पताका और खंभा ही नजर आता है। दर्शन करने के लिए दर्शनार्थियों को पैदल चलकर जाना पड़ता है। समुद्र में महादेव के इस मंदिर को देखकर आप रोमांचित हो जाएंगे, भारी ज्वार के वक्त सिर्फ मंदिर की पताका दिखाई देती है। जैसे-जैसे पानी उतरता है वैसे-वैसे मंदिर की आकृति स्पष्ट होती जाती है। लगता है मानों महादेव समुद्र के कंबल को लपेटकर तपस्या कर रहे हों।
आपको बता दें इस मंदिर में पांच स्वंयभू शिवलिंग हैं। हर शिवलिंग के सामने नंदी की प्रतिमा लगी हुई है। एक वर्गाकार चबूतरे के हर कोने पर एक-एक शिवलिंग स्थापित है। इसी चबूतरे पर एक छोटा सा तालाब है, जिसे पांडव तालाब कहते हैं।
शिवलिंग की पूजा अर्चना करने से पहले श्रद्धालु इसी तालाब में हाथ-मुंह धुलते हैं। मान्यता है कि अगर किसी प्रियजन की चिता की राख शिवलिंग पर लगाकार जल में प्रवाहित कर दें तो उसको मोक्ष मिल जाता है।
इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जोड़ा जाता है। कहते हैं कि महाभारत के युद्ध खत्म होने के बाद पांडव बहुत दुखी थे। अपने ही सगे संबंधियों की हत्या करने के बाद उन्हें अपराधबोध हो रहा था। पांडवों ने इसी तट पर अपराधबोध से मुक्ति के लिए तप किया था।
शिवजी ने प्रसन्न होकर पांचों भाईयों को लिंग रूप में अलग-अलग दर्शन दिए। कहते हैं कि तभी से वहीं पांचों शिवलिंग स्थित हैं। इनके दर्शन जो भी भक्त कर लेता महादेव उसके हर कष्ट को हर लेते हैं।
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