Mahalaxmi Puja on Pitru Paksha Ashtami: वास्तु और विधि अनुसार करें पितृपक्ष अष्टमी की महालक्ष्मी पूजा, पितृ शांति और धन की इच्छा होगी पूरी
punjabkesari.in Wednesday, Sep 10, 2025 - 03:23 PM (IST)

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Mahalaxmi Vrat 2025: पितृपक्ष में आने वाला महालक्ष्मी व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होता है और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर विश्राम होता है। वर्ष 2025 में 31 अगस्त से महालक्ष्मी व्रत शुरू हुआ था और 14 सितंबर को विश्राम होगा। पितृपक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी पूजन करने का विशेष महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी के साथ पितरों को भी तृप्त किया जाता है। यदि पूजा वास्तु और विधि से की जाए तो घर में धन-धान्य, सुख-समृद्धि और पितृ शांति दोनों प्राप्त होते हैं।
Keep these things in mind before performing Mahalaxmi Puja on Pitru Paksha Ashtami पितृपक्ष अष्टमी की महालक्ष्मी पूजा से पहले रखें इन बातों का ध्यान
पूजा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में करें, जबकि तर्पण दक्षिण दिशा की ओर मुख करके। लाल या गुलाबी वस्त्र पहनें। पूजा के बाद प्रसाद और भोजन ब्राह्मण, गौ या जरूरतमंद को अवश्य दें।
Mahalaxmi Puja Material for Pitru Paksha Ashtami पितृपक्ष अष्टमी की महालक्ष्मी पूजा सामग्री
स्वच्छ चौकी व लाल या पीले वस्त्र
महालक्ष्मी की मूर्ति/प्रतिमा/चित्र
कलश, जल, आम्रपत्र, नारियल
अक्षत, हल्दी, कुंकुम, रोली
पुष्प, तुलसी पत्ती, पंचमेवा
दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल (पंचामृत हेतु)
घी का दीपक, धूप, अगरबत्ती
लाल पुष्प व कमल फूल (सर्वश्रेष्ठ)
नैवेद्य (खीर, पुआ, फल आदि)
पितरों हेतु पका हुआ भोजन (विशेषकर कच्चे चावल, दाल, सब्जी, रोटी, तिल, जल)
Method of Mahalaxmi Worship on Pitru Paksha Ashtami पितृपक्ष अष्टमी की महालक्ष्मी पूजा विधि
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शुद्धिकरण एवं संकल्प करने के बाद पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर महालक्ष्मी की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।
दीप जलाकर संकल्प लें — “मैं अमुक गोत्र का अमुक नाम, पितृपक्ष अष्टमी के दिन महालक्ष्मी पूजन व पितृ तर्पण कर रहा/रही हूं, कृपया देवी लक्ष्मी और पितृगण प्रसन्न हों।”
कलश स्थापना
एक कलश में जल, सुपारी, अक्षत, सिक्का, आम्रपत्र डालें और ऊपर नारियल रखें। कलश पर स्वस्तिक बनाकर देवी के दाहिनी ओर स्थापित करें।
गणेश पूजन
सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन कर उन्हें प्रसन्न करें।
मंत्र: “ॐ गं गणपतये नमः” (11 बार जपें)
महालक्ष्मी पूजा
देवी को स्नान (पंचामृत और शुद्ध जल से) कराएं। वस्त्र, आभूषण, रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप अर्पित करें। विशेषकर लाल पुष्प, कमल व श्रीयंत्र अर्पित करना उत्तम है।
मंत्र: “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” (108 बार जप करें)
आरती और नैवेद्य
महालक्ष्मी की आरती करें। खीर, पुआ, फल, मिश्री आदि नैवेद्य अर्पित करें।
पितृ तर्पण व श्राद्ध
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को तर्पण करें। कुशासन पर बैठकर तिल और जल से तर्पण करें। पका हुआ भोजन दक्षिण दिशा में अर्पित कर पितरों को आमंत्रित करें।
मंत्र: “ॐ पितृदेवताओंभ्यः स्वधा नमः” (3 बार जल अर्पण करें)
प्रार्थना
अंत में देवी लक्ष्मी और पितरों से प्रार्थना करें- “हे मातः महालक्ष्मि! मेरे कुल-पितृगण प्रसन्न हों, उनकी आत्मा तृप्त हो और मेरे घर में सुख-समृद्धि व शांति का वास हो।”