Mahalakshmi Vrat 2025: व्रत का अंतिम दिन बन सकता है भाग्यशाली, इन उपायों से करें महालक्ष्मी को प्रसन्न

punjabkesari.in Tuesday, Sep 09, 2025 - 03:07 PM (IST)

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Mahalakshmi Vrat 2025: भारत में महालक्ष्मी व्रत का विशेष स्थान है। यह व्रत मुख्य रूप से धन, समृद्धि और सुख-शांति के लिए किया जाता है। महालक्ष्मी, जिन्हें धन की देवी माना जाता है, इस व्रत के दौरान भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। 2025 में महालक्ष्मी व्रत का आखिरी दिन विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसी दिन देवी महालक्ष्मी की पूजा-अर्चना पूर्ण होती है और व्रतधारी अपनी इच्छाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। महालक्ष्मी व्रत का उद्देश्य अपने जीवन में धन-धान्य, समृद्धि और खुशहाली लाना होता है। यह व्रत न केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करता है। व्रत करने से मन और आत्मा को शुद्धि मिलती है, जिससे व्यक्ति की इच्छाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। व्रत का अंतिम दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इसी दिन व्रत की पूजा-आहूति और अराधना पूरी होती है। देवी महालक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस दिन कुछ विशेष कर्मों को करना आवश्यक माना गया है। व्रतधारी इस दिन देवी की पूजा विधिपूर्वक करते हैं और कुछ खास नियमों का पालन करते हैं, जिससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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महालक्ष्मी व्रत के आखिरी दिन करने योग्य महत्वपूर्ण कार्य

 साफ-सफाई और सजावट
आखिरी दिन सुबह घर और पूजा स्थल की अच्छी तरह सफाई करें। साफ-सुथरा वातावरण देवी की प्रसन्नता का प्रतीक होता है। घर के मंदिर को फूलों, अक्षत (चावल), हल्दी, केसर और रंगीन झाड़ू से सजाएं। खासकर लाल और पीले रंग के फूलों का प्रयोग करें, क्योंकि ये रंग धन की देवी से जुड़े होते हैं।

देवी महालक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा
पूजा के लिए सात प्रकार के फल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य और मिठाई लगाएं। दीपक के लिए गंध और घी का विशेष ध्यान रखें। पूजा करते समय देवी महालक्ष्मी के मन्त्रों का जाप करें, जैसे:

“ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।”

 कलश स्थापना
कलश में जल, दूर्वा, अक्षत, और सिक्के रखकर देवी महालक्ष्मी की स्थापना करें। कलश में धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे विशेष रूप से पूजा के अंत में स्थापित किया जाता है।

लक्ष्मीपूजन के बाद प्रसाद वितरण
पूजा के बाद भोग में बनी मिठाइयां और अन्य व्यंजन परिवार और मित्रों में बांटें। प्रसाद बांटने से देवी की कृपा बढ़ती है और व्रतधारी का सामाजिक व पारिवारिक संबंध मजबूत होता है।

व्रत खोलना
आखिरी दिन सूर्यास्त
के बाद व्रत खोलें। व्रत खोलने से पहले देवी महालक्ष्मी का धन्यवाद करें और अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करें।

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Chant these mantras इन मंत्रों का करें जप-

श्री लक्ष्मी बीज मंत्र -

ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।

लक्ष्मी प्रा​र्थना मंत्र -

नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।

श्री लक्ष्मी महामंत्र -

ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

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Content Editor

Prachi Sharma

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