Mahabharat: जब अर्जुन अपने गुरु के वचन सुनकर हतप्रश रह गए...
punjabkesari.in Tuesday, Mar 28, 2023 - 09:01 AM (IST)
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Religious Katha: गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों को धर्मशास्त्रों के साथ-साथ धनुर्विद्या की भी शिक्षा दी। उन्होंने देखा कि सभी शिष्यों में अर्जुन अधिक मेधावी तथा सेवा भावी है। उन्होंने अर्जुन को गुरुकुल से विदा करते समय ब्रह्मशिर नामक दिव्य अस्त्र प्रदान किया जिसमें समूची पृथ्वी को जला डालने की अनूठी क्षमता थी।
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गुरु द्रोण ने अस्त्र प्रदान करने के बाद कहा, ‘‘वत्स अर्जुन इस अस्त्र का प्रयोग बहुत सोच-समझकर अंतिम अस्त्र के रूप में ही करना, वर्ना तुम भीषण नरसंहार व विध्वंस के पाप के भागी हो जाओगे।’’
अर्जुन ने नतमस्तक होकर उनके आदेश का पालन करने का आश्वासन दिया। गुरु द्रोणाचार्य ने कहा, ‘‘अब मुझे दक्षिणा चाहिए।’’
अर्जुन ने विनीत होकर कहा, ‘‘गुरुदेव आप जो भी मांगेंगे मैं उसे देने के लिए इसी समय तत्पर हूं।’’
द्रोण ने कहा, ‘‘मुझे वचन दो कि यदि मैं भी किन्हीं परिस्थितियों के वशीभूत होकर धर्मपक्ष के विरुद्ध रणक्षेत्र में खड़ा दिखाई दूं तो तुम मेरा भी डटकर मुकाबला करने को तैयार दिखाई दोगे। उस समय मुझे गुरु के रूप में न देखकर अधर्म पक्ष का मानकर मुझ पर प्रहार करने में कोई कसर नहीं रखोगे। यही मेरी गुरु दक्षिणा है।’’ अर्जुन अपने गुरु के वचन सुनकर हतप्रश रह गए।