Maha Shivratri- तुलसीदास कहते हैं, यहां गंगाजल चढ़ाने से मिलेगा मोक्ष

punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2024 - 08:46 AM (IST)

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Maha Shivratri 2024- इस वर्ष विश्व महिला दिवस दिन महाशिवरात्रि का आना काफी प्रासंगिक महत्व रखता है। तमीजदार, स्नेहिल जीवन साथी पाने हेतु युवतियां शिव की उपासना करतीं हैं। दरअसल शिव एक आदर्श गृहस्थ हैं। पार्वती ने कठिन तपस्या से उन्हें पाया और सम्पूर्ण प्यार भी हासिल किया। शिव केवल एक पत्नीव्रती है व उनके दो ही पुत्र हैं। बड़ा नियोजित, सीमित कुटुम्ब है।

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What is the family of Lord Shiva- अन्य विशिष्टताएं भी हैं। नारी को सर्वाधिक महत्व शिव ने दिया जब पार्वती को अपने बदन में ही आधी जगह दे दी। अर्धनारीश्वर कहलाएं। शिव कला के सृजनकर्ता हैं। तांडव नृत्य द्वारा उन्होंने नई विधा को जन्म दिया। नटराज कहलाएं। प्रकृति के, पर्यावरण के शिव रक्षक और संवारने वाले हैं। किसान के साथी हैं। बैल को शिव ने अपना वाहन बनाकर मान दिया। नंदी इसका प्रतीक है। पंचभूत को शिव ने पनपाया। क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा, वे तत्व हैं जिनमें संतुलन बिगाड़कर आज के लोगों ने प्रदूषण, विकीर्णता और ओजोन परत की हानि कर दी है। यदि सब सच्चे शिवभक्त हो जाएं तो फिर पंच तत्वों में सम्यक संतुलन आ जाए।

Why You Should Worship Lord Shiva- आज के संदर्भ में शिव, मेरी राय में, समस्त जम्बू द्वीप के एकीकरण के महान शिल्पी है। जब भाषा, मजहब, जाति और भूगोल को कारण बनाकर चन्द भारतीय टुकड़े-टुकड़े करने पर आमादा हों, तो याद कीजिए कैसे सती के शरीर के हिस्सों को स्थापित कर शक्तिपीठों का गठन हुआ व समूचा राष्ट्र-राज्य एक सूत्र में पिरोया गया। भले ही तमिलभाषी आज उत्तरी श्रीलंका के हमराही लिट्टेवालों से हमदर्दी रखें और हिन्दीभाषियों को दूर का मानें, मगर रामेश्वरम में उपस्थित शिवलिंग इन दो सिरों को जोड़ता है।

Maha Shivratri- आज के राजनेता दावा करें, दंभ दिखाएं, मगर सत्यता यह है कि अयोध्या के राम ने सागरतट पर शिव को स्थापित कर भारत की सीमाएं निर्धारित की थी। रेत का शिवलिंग बनाकर राम ने उसमें प्राण प्रतिष्ठान करने हेतु उस युग के महानतम शिवभक्त, लंकापति दशानन रावण को आमंत्रित किया था। रावण द्विजश्रेष्ठ था मगर पुत्र मेघनाथ ने पिता को मना किया कि वे शत्रु खेमें में न जाएं। प्राणहानि की आशंका है, लेकिन रावण ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय कानून और युद्ध नियमों के अनुसार निहत्थे पर वार नहीं किया जाता है।

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What is the significance of Rameshwaram- रामेश्वरम का महज धार्मिक महत्व नहीं हैं। कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक भी है। 5 सदियों पूर्व गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा ‘जो रामेश्वर दरसु करिहहिं, ते तनु तजि मम लोक सिधारहि।’ इतना बड़ा आकर्षण है कि गंगाजल को रामेश्वरम में अर्पित करे तो मोक्ष मिलेगा। अत: निर्लोभी और विरक्त हिन्दू भी दक्षिण की यात्रा करना चाहेगा। भले ही अलगाववादी आज कश्मीर को भारत से काटने की साजिश करे, वे ऐतिहासिक तथ्य को नजरंदाज नहीं कर सकते। शैवमत कभी हिमालयी वादियों में लोकधर्म होता था।

The Journey of Lord Shiva And Parvathi To Amarnath- जब शिव यात्रा पर निकले तो नंदी को पहलगाम में, अपने अर्धचंद्र को चंदनवाड़ी में और सर्प को शेषनाग में छोड़ आए। अमरनाथ यात्री इन्हीं तीनों पड़ावों से गुजरते हैं। शिवलिंग से आशय लक्षणों से भी है। शिवालय में जाने-आने की कोई पाबंदी नहीं है जो अन्य मंदिरों में होती है। न छुआछूत, न परहेज और न कोई अवरोध। सब शिवमय है। श्रद्धालुजन द्वादश ज्योर्तिंलिंग की पूजा करते हैं।

Somnath temple- इसमें आज के सार्वभौम लोकतांत्रिक गणराज्य की दृष्टि से सोमनाथ इस्लामी साम्राज्यवादियों के हमले का शिकार रहा था। आज पुनर्निमित सोमनाथ का ज्योर्तिंलिंग भारत की ऐतिहासिक कीर्ति का प्रतीक है। अन्य देवताओं का जन्मोत्सव मनाया जाता है, मगर शिव का विवाहोत्सव पर्व? ऐसा इसलिए क्योंकि शिव दर्शाना चाहते हैं कि सृजन और निधन शाश्वत नियम हैं। उन्हें कभी भी विस्मृत नहीं करना चाहिए। कृष्ण ने अगहन चुना मगर शिव ने श्रावण को पसंद किया क्योंकि तब तक सारी धरा हरित हो जाती है। सिद्ध कर दिया कि जल ही जीवन है। ऊबड़-खाबड़, सर्वहारा जनों को बटोरकर भोलेनाथ पार्वती को ब्याहने चले थे। समता का संदेश दिया। शुभ कामना का भी उद्बोधन है ‘शिवस्तु पंथा’, सब कुशल क्षेम रहे।  

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Content Writer

Niyati Bhandari

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