उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुई छठ पूजा

punjabkesari.in Saturday, Oct 28, 2017 - 03:53 PM (IST)

छठ पूजा का पर्व शुक्रवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ सम्पन्न हुआ। इस दौरान लोगों ने खासकर महिलाओं ने पानी में डुबकी लगाई और उगते सूर्य की पूजा अर्चना की। इस त्यौहार पर सूर्य की पूजा की जाती है और सूर्य देव को फल, घर पर बनाया गया पकवान, पेड़े, चावल के लड्डू, कच्ची सब्जियां और मौसम की पहली फसल चढ़ाई जाती है। 


सूर्य ऊर्जा और जीवन शक्ति के देवता माने जाते हैं और छठ के दौरान इनकी पूजा उन्नति, बेहतरी और प्रगति के लिए की जाती है। इस पर्व का प्रारंभ नहाय-खाय के साथ होता है। इस पर्व में निर्जला व्रत का प्रण किया जाता है और आखिरी दिन सूर्य को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। इस 4 दिवसीय पर्व का प्रारंभ कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी और समापन कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी को होता है। पहले यह त्यौहार बिहार तक सीमित था लेकिन अब छठ पूजा का आयोजन पंजाब, कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, बेंगलूर जैसे बड़े शहरों में भी होता है।

 

छठ पूजा का इतिहास
छठ पर्व कैसे शुरू हुआ इसके पीछे कई ऐतिहासिक कहानियां हैं। पुराण में छठ पूजा के पीछे की कहानी राजा प्रियंवद को लेकर है। कहते हैं कि राजा की कोई संतान नहीं थी तब महर्षि कश्यप ने पुत्र की प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को आहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति तो हुई लेकिन पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे और उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुई और उन्होंने राजा से कहा कि क्योंकि वह सृष्टि की मूल प्रवृति के छठे अंश से उत्पन्न हुई है। इसी कारण वह षष्ठी कहलाती है। 


उन्होंने राजा को उनकी पूजा करने और दूसरों को पूजा के लिए प्रेरित करने को कहा। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। कहते हैं यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी और तभी से छठ पूजा होती है।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News