ये हैं सबसे चमत्कारी मंत्र, लाइफ की हर Problem को कर सकते हैं दूर

punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2020 - 05:13 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
कहा जाता है हर किसी के जीवन में प्रॉब्लम्स का आना-जाना लगा रहता है। हर किसी को इसका डटकर मुकाबला करना चाहिए। मगर कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें इनके जीवन में एंट्री लेने के पीछे का कारण जानने की बड़ी इच्छा होता है। एक मिनट कहीं आपकी भी तो ये जानने की इच्छा नहीं है। अगर हां तो चलिए कोई बात नहीं आज हम आपकी इस इच्छा को पूरा कर ही देते हैं। जी, क्योंकि हमारे पास आपकी इस बात का जवाब है कि आख़िर व्यक्ति के जीवन में कब और क्यों मुश्किलों आते हैं और इन प्रॉब्लम्स को दूर कैसे किया जा सकता है। यानि हमारे कहने का भाव यही है कि आज हम आपको इस बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं कि किस वजह से हमारी लाइफ में मुसीबतों की एंट्री होती है।
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दरअसल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी व्यक्ति के जीवन में एक साथ कई कठिनाइयां आ जाती हैं तो इसका कारण उनकी कुंडली के कई ग्रह होते है जिनकी बदलती दिशा-दशा उनके जीवन को भी बदल देती है। बल्कि कहा जाता है कि कई बार तो ये ग्रह हमारे जीवन को इस हद तक प्रभावित कर देते हैं कि अच्छे खाली चल रही जिंदगी खराब हो जाती है।

बता दें ज्योतिष शास्त्र में कुल 9 ग्रहों के बारे में बताया गया है, जो है सूर्य, चंद्र, मंगल बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु आदि। जब इनकी स्थिति में कोई बदलाव आता है तो ये मानव जीवन को अच्छ-बुरे दोनों तरह से प्रभावित करते हैं। उम्मीद है कि उपरोक्त दी गई जानकारी के बाद आपको ये तो समझ आ ही गया होगा कि लाइफ में प्रॉब्लम्स के आने का मुख्य कारण क्या होता है।
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अब जानते हैं अगर इन नवग्रह की स्थिति खराब हो तो उन्हें ठीक कैसे कर सकते हैं-

जिस जातक की कुंडली में सूर्य की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या सूर्य की महादशा चल रही हो उसे तो रोज़ाना ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः मंत्र का 108 बार करें।

कुंडली में चंद्र की प्रत्यंतर, अंतर या महादशा के दौरान रोज़ाना ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः बार इस मंत्र का जप करें।

मंगल की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा हो तो ॐ क्रां क्रीम् क्रौं सः भौमाय नमः मंत्र का 108 बार जप करें।

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध की प्रत्यंतर, अंतर या महादशा चल रही हो उसे ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः का जाप करना चाहिए।  

जिस जतक की कुंडली में गुरु की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा हो उस व्यक्ति को ॐ जर्रे ह्रीं ह्रौं सः गुरुवे नमः मंत्र का नियमित 108 बार जप करना चाहिए।
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कुंडली में शुक्र की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा से परेशान लोग हो ॐ द्राम द्रुम द्रौम सः शुक्राय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।

कुंडली में न्याय के देवता, कर्मफल दाता शनि देव की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा चल रही हो रोज़ाना ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नम: मंत्र का 108 बार जप करें।

कुंडली में राहु की प्रत्यंतर, अंतर या महादशा से परेशानी का सामना कर रहे लोग 108 बार रोज़ाना ॐ भ्राम भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः मंत्र का जप करें।

जयोतिष शास्त्र के अनुसार जिस जातक की कुंडली में केतु की प्रत्यंतर, अंतर्दशा या महादशा चल रही हो तो उसक लिए ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः केतवे नमः मंत्र का जाप लाभदायक माना गया है।


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Jyoti

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