Astrology: जानें, शादी के बाद किन लोगों की चमकती है किस्मत !

punjabkesari.in Tuesday, Dec 15, 2020 - 08:57 AM (IST)

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How do you get marriage prediction: आपने बहुत से लोगों को ऐसे कहते सुना होगा कि शादी के बाद फलां व्यक्ति की तो किस्मत ही चमक गई या शादी के बाद तो अमुक व्यक्ति के वारे न्यारे हो गए। धन और लक्ष्मी खूब बरस रही है। हो सकता है कि आप में से अधिकतर लोग ऐसा भी सोचते हों कि शायद अमीर घर में शादी होने की वजह से किसी व्यक्ति की किस्मत चमकी होगी। ऐसा कुछ एक मामलों में तो हो सकता है लेकिन शादी के बाद किसी व्यक्ति की किस्मत चमकने के पीछे ज्योतिषीय कारण भी होते हैं।

PunjabKesari Luck caused by Marriage

What is the horoscope for marriage: किसी व्यक्ति की शादी के बाद किस्मत चमकाने में चंद्रमा का बहुत महत्वपूर्ण रोल रहता है। चंद्रमा जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में तीसरे भाव यानी पराक्रम स्थान पर बैठते हैं तो शादी के बाद उस व्यक्ति का भाग्य उदय होता है और उस पर लक्ष्मी मेहरबान हो जाती है । ऐसे व्यक्ति को धन की कोई कमी नहीं रहती और जीवन की सारी भौतिक सुख सुविधाएं उसे हासिल होती हैं।

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What is the origin of the Moon astrology: चंद्रमा को हमारे मन का स्‍वामी माना जाता है। कुंडली में कुल 12 भाव होते हैं। चंद्रमा आपकी कुंडली के किस भाव में है, इस पर आपका भाग्‍य काफी हद तक निर्भर करता है। चंद्रमा को शीतलता का प्रतीक माना जाता है। चंद्रमा के कमजोर होने पर व्‍यक्ति का स्‍वास्‍थ्‍य खराब रहने लगता है और वह सर्दी, जुकाम जैसी परेशानियों से घिरा रहता है।

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How marriage is lucky for you: कुंडली के 12 अलग-अलग भावों में से किस भाव में बैठकर चंद्रमा कैसा फल देते हैं और आप खुुद भी अपनी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति देख सकते हैं कि वह किस भाव में बैठा है और उसका क्याा फल रहेगा ?

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Why is moon important in marriage astrology: चंद्रमा आपकी कुंडली के लग्‍न भाव में हो तो ऐसे जातक स्‍वभाव से काफी सरल और सीधे होते हैं। इसके साथ ही ये बलशाली भी होते हैं। जीवन में इन्हें सभी प्रकार के सुख प्राप्‍त होते हैं। ऐसे जातकों को गायन और वादन का भी काफी शौक होता है।

अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा द्वितीय भाव में हो तो ऐसे जातक मधुरभाषी, सुंदर, और शांति प्रिय होते हैं। द्वितीय स्थान में चंद्रमा होना अति शुभकारी है। जातक के पास धन-संपत्ति एकत्र होती है। ऐसा जातक बहुत अच्छा गायक या कवि होता है अथवा इन क्षेत्रों में रुचि रखता है। द्वितीय भाव धन का भाव होने की वजह से  ऐसे लोगों पर मां लक्ष्‍मी की विशेष कृपा होती है।

तीसरे भाव में चंद्रमा का होना जातक को पराक्रमी धनी और बलशाली बनाता है। चंद्रमा के तीसरे भाव में होने पर जातक तीव्र स्‍मरण शक्ति वाले होते हैं और करियर में भी ये खूब नाम कमाते हैं। ऐसे लोगों का विवाह के बाद ही भाग्‍योदय होता है। ऐसे जातक देखने में भी काफी सुंदर होते हैं और साथ ही छरहरी व कमनीय काया वाले भी होते हैं। पत्नी भी उन्हें खूबसूरत मिलती है।

चतुर्थ भाव में चंद्रमा के होने से जातक उदार और शांत स्‍वभाव वाला होता है। ऐसे जातक दयालु, बुद्धिमान और मिलनसार स्‍वभाव के होते हैं। साथ ही जातक उदार हृदय का, भाग्यशाली एवं सदा प्रसन्न रहने वाला होता है। विवाह के बाद ऐसे जातकों की संतान भी सदाचारी और अच्‍छे चरित्र वाली होती है। ऐसे जातकों को भी समय रहते अपने मकान और वाहन का सुख प्राप्‍त हो जाता है।

कुंडली के पंचम स्‍थान में चंद्रमा के होने से जातक बुद्धिमान, धैर्यवान और भावुक होता है। ऐसे जातक मन से थोड़े चंचल जरूर होते हैं लेकिन सदाचारी, क्षमावान तथा शौकीन मिजाज के होते हैं। ये हर कार्य को तीव्र और शीघ्रता के साथ करते हैं और मीठा बोलने वाले होते हैं। चंद्रमा के प्रभाव से जातक धनवान, लोकप्रिय और दीर्घायु होते हैं।

कुंडली के छठें भाव में चंद्रमा का होना बहुत अच्‍छा नहीं माना जाता है। ऐसे जातक अक्‍सर बीमार रहते हैं और इन्‍हें कफ, वात और नेत्र के विकार परेशान करते हैं। साथ ही अधिक खर्चा करने वाले होते हैं।  इन्‍हें जीवनसाथी से सदैव अच्‍छा साथ मिलता है। ऐसे लोगों को सैर-सपाटे में बहुत मजा आता है और ये खाने-पीने के काफी शौकीन होते हैं।

चंद्रमा के कुंडली के सातवें भाव में होने से जातक सभ्य, धैर्यवान और पेशे से व्यापारी या फिर वकील हो सकते हैं। ये लोग स्वभाव से शांत और सभ्य होते हैं। ऐसे लोगों की पत्‍नी काफी सुन्दर और धार्मिक होती है। जातक के व्यक्तित्व में एक आकर्षण होता है। ऐसे जातकों को प्‍यार और रिलेशनशिप के मामलों में भी सफलता प्राप्‍त होती है।

कुंडली के आठवें भाव में चंद्रमा का होना बहुत अच्‍छा नहीं माना जाता है। इस प्रकार के जातक अक्‍सर बीमार रहने वाले होते हैं। इन्‍हें व्यापार से लाभ तो प्राप्‍त होता है, लेकिन ये अपने पैसे को बचा नहीं पाते हैं। ऐसे जातक थोड़े ईर्ष्‍यालु स्‍वभाव के माने जाते हैं। इन लोगों में आत्‍मसम्‍मान की कमी होती है।

नौंवे भाव में चंद्रमा होने से जातक संपत्तिवान, धर्मात्मा, कार्यशील, न्यायी, विद्वान एवं साहसी होता है। ऐसे जातकों में साहस अधिक होता है। जातक प्रकृति प्रेमी होते हैं। जातक को बहनों से विशेष सहयोग भी मिलता है। ऐसे जातक जरूरतमंदों की अक्‍सर मदद किया करते हैं।

दसवें भाव में चंद्रमा होने से जातक कार्यकुशल, दयालु, निर्मल बुद्धि, व्यापारी, यशस्वी, संतोषी एवं लोकहितैषी होते हैं। ऐसे जातक विशेष रूप से मातृ भक्त होते हैं। इन्‍हें जमीन, जायदाद, मकान आदि का सुख प्राप्त होता है।

कुंडली के ग्यारहवें भाव में चंद्रमा होने से जातक चंचल बुद्धिमान, गुणी, एवं संपत्ति से युक्त, यशस्वी व दीर्घायु होते हैं। ऐसे जातक  व्यवहारकुशल, बुद्धिमान और कला प्रिय होते हैं। इनका कम्‍युनिकेशन स्किल काफी अच्‍छा होता है।

बारहवें भाव में चंद्रमा होने से जातक नेत्र रोगी, कफ रोगी, क्रोधी, एकांत प्रिय और अधिक व्यय करने वाला होता है। ऐसे जातकों के पास पैसा कभी टिक नहीं पाता है। शत्रु राशि में द्वादश भाव में चंद्रमा स्थित होने से जातक एकांतप्रिय एवं चिताग्रस्त होता है। ऐसे लोगों को अलग-अलग स्‍थानों पर भ्रमण करना अच्‍छा लगता है।  बारहवें भाव में चंद्रमा विदेश यात्राओं के योग भी बनाता है।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

 


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Niyati Bhandari

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