क्रोध नहीं, पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए भगवान परशुराम ने किया था ये काम!

punjabkesari.in Saturday, Dec 18, 2021 - 05:07 PM (IST)

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धार्मिक शास्त्रों में भगवान परशुराम से जुड़े कई किस्से पढ़ने सुनने को मिलते हैं। परंतु इन्हें सबसे ज्यादा इनके  गुस्से के लिए जाना जाता है। ग्रंथों आदि में इनसे जुड़ी ऐसी बहुत से कथाएं पड़ने सुनने को मिलती है जिससे ये पता चलता है कि भगवान विष्णु के छठे अवतार यानि परशुराम जी को कैसे हर छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आ जाता था। संभव है कि आपने भगवान परशुराम के कई वाक्या सुने हों, जिनमें से एक वाक्या ये है कि एक बार अपने क्रोध के आवेश में आकर भगवान परशुराम ने अपनी ही मां का सिर काट दिया था। परंतु इसके पीछे का असली कारण क्या था इस बारे मे बहुत कम लोग जानते हैं, तो आइए जानते हैं इस वाक्य से जुड़ी सच्चाई कि आखिर क्यों अपनी मां का सिर काटा था और क्या ऐसा करने का कारण उनका गुस्सा था या कुछ और। 

बता दें भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे। इसके अलावा ऋषि जमदग्नि और रेणुका के 4 पुत्र और थे। ऋषि जमदग्नि को उनके क्रोध के लिए जाना जाता है। परशुराम, भगवान शिव के पुत्र थे और उन्हें  घोर तपस्याे के बाद भगवान से परशु प्राप्तल हुआ था जो एक प्रकार का शस्त्रज था। उसी शस्त्रन के मिलने के बाद उनका नाम परशुराम पड़ा। वे अपने पिता की किसी भी बात को अनसुना नहीं करते थे, बल्कि उनके लिए उनके पिता से मुख से निकली हुई बात पत्थर की लकीर हो जाती थी। 

परशुराम को प्रथम योद्धा ब्राहम्णथ के रूप में जाना जाता है और उन्हेंक ब्राहम्ण‍क्षत्रिय भी कहा जाता था, क्योंलकि वे पैतृक ब्राहम्णथ ही थे, लेकिन उनमें गुण एक क्षत्रिय की तरह थे। उनकी माता, रेणुका एक क्षत्रिय की बेटी थी। परशुराम के माता-पिता, ऋषि जमदग्नि और रेणुका, बहुत आध्यारत्मिक किस्म् के थे। उनकी माता को पानी पर पूरा अधिकर था और उनके पिता का अग्नि पर अधिकार था। कहा जाता है कि रेणुका, गीली मिट्टी के घड़े में भी पानी को भर लेती थी। चलिए फिर आपको बताते हैं कि परशुराम ने अपनी मां का सिर क्यों काटा था। एक बार की बात है, ऋषि ने अपनी पत्नीफ रेणुका को पानी भरकर लाने को कहा। जब वो नदी के पास पानी लेने पहुंची तो उन्हें पानी भरते समय एक बहुत ही सुंदर बालक दिखा। जिससे देखते ही वे मदहोश हो गई। और उनमें इतना खो गई कि उन्हें वापस अपने पति के पास जाने की सुध न रही। और काफी समय बाद उन्हें वापस जाने का याद आया तो वे जल्दी-जल्दी वापस ऋषि के पास लौटी। 

तब तक ऋषि गुस्से से आग बबुला हो चुके थे। और अपने बेटों को अपनी मां को मारने का आदेश दिया। लेकिन मां के मोह की वजह वे ऐसा नहीं कर पाए। तब ऋषि ने अपने आज्ञाकारी पुत्र परशुराम को इस काम के लिए चुना। यही नहीं फिर ऋषि ने मां के साथ चारों भाइयों को मार डालने का बी आदेश दिया। जिसके बाद परशुराम ने झट से उनकी बात मान ली। क्योंकि परशुराम ऋषि की ताकत को जानते थे। वो जानते थे कि अगर पिता जी खुश हो गए, तो वे मन चाहा वरदान भी दे देंगे जिससे वो अपनी मां और भाइयों को वापस जिंदा कर सकता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए। परशुराम ने अपने शस्त्र परशु से मां समेत भाइयों का सिर धड़ से अलग कर दिया। इससे ऋषि प्रसन्नद हो गए और उन्होपने अपने पुत्र से एक वरदान मांगने को कहा। परशुराम ने अपने पिता से वरदान मांगा कि - वे उनकी माता और भाइयों को जीवित कर दें और उनकी याद्दशात को उस दौरान के लिए खत्मव कर दें, जब उन्होंाने सिर को धड़ से अलग कर दिया था। चूंकि, ऋषि जमदग्नि को दिव्यन शक्तियां प्राप्तम थी, तो उन्‍होने रेणुका को जीवनदान दे दिया। तो दोस्तों यही वजह थी परशुराम ने अपनी ही मां का सिर धड़ से अलग कर दिया था। 


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Content Writer

Jyoti

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