Kusum Sarovar: ब्रज की शान और राधा-कृष्ण की अमर लीला का प्रतीक है कुसुम सरोवर, हर जगह महकती है प्रेम की खुशबू

punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 06:00 AM (IST)

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Kusum Sarovar: ब्रज मंडल की पूरी धरती राधा-कृष्ण की भक्ति में डूबी हुई है। मथुरा से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित गोवर्धन धाम भगवान कृष्ण की बाल-लीलाओं और उनकी गिरिराज पर्वत लीला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। जहां देवकीनंदन गोवर्धन गिरिधारी के नाम से पूजे जाते हैं, वहीं 21 किलोमीटर के परिक्रमा मार्ग पर कई पौराणिक स्थल मौजूद हैं। इन्हीं में से एक कुसुम सरोवर है, जिसका राधा-कृष्ण की लीलाओं से गहरा नाता है।

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क्यों खास है यह सरोवर ?

राधा-कृष्ण की लीला: इस सरोवर का नामकरण कुसुम वन सरोवर भगवान कृष्ण और राधा रानी के प्रेम से जुड़ा है। प्रचलित कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण यहाँ से राधा जी के श्रृंगार के लिए सुंदर फूल चुनते थे और उनसे मालाएं बनाते थे। कुछ मान्यताएं इसे राधा रानी की सखी कुसुमा से भी जोड़ती हैं।

इस सरोवर को बाद में राजा सूरजमल के समय में भव्य और कलात्मक स्वरूप दिया गया। इस 450 फीट चौकोर सरोवर के चारों ओर सीढ़ियां निर्मित किए गए हैं। इसके तट पर महाराजा सूरजमल ने अपने पिता राजा सूरजमल की याद में एक भव्य छतरी का भी निर्माण करवाया, जो यहां की सुंदरता को और बढ़ा देती है।

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सरोवर का अद्भुत दृश्य
यह स्थल आज भी भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है। हजारों श्रद्धालु गोवर्धन परिक्रमा के दौरान इस पौराणिक सरोवर के दर्शन के लिए आते हैं।

रात की छटा: रात के समय जब सरोवर पर रंग-बिरंगी लाइटें जलती हैं, तो यह दृश्य सचमुच अतुलनीय हो जाता है और भक्तों के मन को शांति प्रदान करता है।

मंदिर की उपस्थिति: सरोवर के प्रांगण में भगवान शंकर का एक छोटा-सा मंदिर भी बना हुआ है, जहां भक्त शिवलिंग की आराधना करते हैं।

इस तरह, कुसुम सरोवर न केवल एक जल कुंड है बल्कि यह राधा-कृष्ण की मधुर लीलाओं और ऐतिहासिक कला का एक जीता-जागता प्रमाण है, जो हर दिन श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है।
 

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Content Editor

Prachi Sharma

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