13 अखाड़ों के साथ 2019 के कुंभ आयोजन में शामिल हुआ ये अखाड़ा

punjabkesari.in Saturday, Jan 26, 2019 - 01:28 PM (IST)

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इस बात का पता तो सब को है कि कुंभ शुरु हो चुका है और जोकि इस बार प्रयागराज में संपन्न हो रहा है। सिंहस्थ, कुंभ या अर्धकुंभ में अखाड़ों का विशेष महत्व होता है। कुंभ में यहीं सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र होते हैं। लेकिन हममें से बहुत कम लोग ये जानते होंगे कि अखाड़ा होता क्या है? इसकी क्या परंपरा है? तो चलिए जानते हैं आज इनके बारे में-
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वैसे तो अखाड़ा शब्द कान में पड़ते ही कुश्ती का ख्याल मन में आता होगा लेकिन यहां अखाड़े का मतलब साधुओं के जत्थे से है। अखाड़ा शब्द का चलन मुगलकाल से शुरू हुआ। हमारे देश में कुल 13 अखाड़े प्रचलित है। जिनमें से शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के जाने जाते हैं। इस बारे सुनने में आया है कि महिला संन्यासियों का परी अखाड़ा और किन्नर समुदाय का किन्नर अखाड़ा भी चर्चा में होगा। इन अखाड़ों की प्राचीन काल से ही स्नान पर्व की परंपरा चली आ रही है। आइए जानते है उन अखाड़ों के बारे में-
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शैव संन्यासी संप्रदाय के अखाड़े-
पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग, उत्तर प्रदेश
पंच अटल अखाड़ा- वाराणसी, उत्तर प्रदेश
पंचायती अखाड़ा निरंजनी- दारागंज, प्रयाग, उत्तर प्रदेश
तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती- त्रम्केश्वर, नासिक, महाराष्ट्र
पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमान घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा- दशस्मेव घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा- गिरीनगर, जूनागढ़, गुजरात
बैरागी संप्रदाय के अखाड़े- दिगम्बर अणि अखाड़ा- शामलाजी खाकचौक मंदिर, सांभर कांथा, गुजरात
निर्वानी अणि अखाड़ा- हनुमान गादी, अयोध्या, उत्तर प्रदेश
पंचदशनाम निर्मोही अणि अखाड़ा- धीर समीर मंदिर बंसीवट, वृंदावन, मथुरा, उत्तर प्रदेश
उदासीन संप्रदाय के अखाड़े-
पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा- कृष्णनगर, कीटगंज, प्रयाग, उत्तर प्रदेश
पंचायती अखाड़ा नया उदासीन- कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड
निर्मल पंचायती अखाड़ा- कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड।
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वैसे इन अखाड़ों के अलावा भी कई संतों के डेरे या आश्रम के कैप भी लगते हैं जो कुंभ में भाग लेते हैं। तो चलिए आगे जानते हैं इन अखाड़ों की विशेषताएं-
अटल अखाड़ा- इसमें केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य दीक्षा ले सकते हैं और कोई अन्य इस अखाड़े में नहीं आ सकता है।

अवाहन अखाड़ा- अन्‍य आखड़ों में महिला साध्वियों को भी दीक्षा दी जाती है लेकिन इस अखाड़े में ऐसी कोई परंपरा नहीं है।

निरंजनी अखाड़ा- सबसे ज्यादा शिक्षित अखाड़े के तौर पर ये जाना जाता है। इस अखाड़े में करीब 50 महामंडलेश्वर हैं।

अग्नि अखाड़ा इस अखाड़े में केवल ब्रह्मचारी ब्राह्मण ही दीक्षा ले सकते है। कोई अन्य दीक्षा नहीं।

महानिर्वाणी अखाड़ा महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा का जिम्‍मा इसी अखाड़े के पास है और ये परंपरा कई सालों से चली आ रही है।

आनंद अखाड़ा यह शैव अखाड़ा है जिसे आज तक एक भी महामंडलेश्वर नहीं बनाया गया है। इस अखाड़े के आचार्य का पद ही प्रमुख होता है।

दिंगबर अणि अखाड़ा इस अखाड़े को वैष्णव संप्रदाय में राजा कहा जाता है। इसमें 431 सशस्त्र साधु हैं।

निर्मोही अणि अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय के तीनों अणि अखाड़ों में से इसी में सबसे ज्यादा अखाड़े शामिल हैं। इनकी संख्या 9 मानी जाती है।

निर्वाणी अणि अखाड़ा इस अखाड़े में कुश्ती प्रमुख होती है जो इनके जीवन का एक हिस्सा है। इसी कारण से अखाड़े के कई संत प्रोफेशनल पहलवान रह चुके हैं।

बड़ा उदासीन अखाड़ा इस अखाड़े का उद्देश्‍य सेवा करना है। इस अखाड़े में केवल 4 मंहत होते हैं।

नया उदासीन अखाड़ा इस अखाड़े में उन्‍हीं लोगों को नागा बनाया जाता है जिनकी दाढ़ी-मूंछ न निकली हो यानी 8 से 12 साल तक।

निर्मल अखाड़ा इस अखाड़ा में और अखाड़ो की तरह धूम्रपान की इजाजत नहीं है। इसके बारे में सभी केंद्रों के गेट पर इसकी सूचना लिखी होती है। 

बता दें इस बार इन 13 अखाड़ों के साथ किन्नर अखाड़े को भी सरकार ने मंजूरी दे दी है। लेकिन वो अब जूना अखाड़े में समाहित हो गया है।

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