Ganga dussehra 2022: आज के दिन धरती पर आई थी गंगा, पढ़ें कथा
punjabkesari.in Thursday, Jun 09, 2022 - 08:04 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Ganga dussehra story: शास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा हिमालय से निकलकर धरती पर आई थी। राजा सगर के एक हजार पुत्रों की आत्मा की शांति के लिए राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने उत्तम व्रत का अनुष्ठान किया तथा नदियों में श्रेष्ठ गंगा धरती पर आई। धरती पर आने पर सबसे पहला विश्राम गंगा ने हरिद्वार में किया जो आज भी ब्रह्मकुण्ड के नाम से प्रसिद्ध है। वहां ब्रह्मा जी की पूजा की जाती है।
जब तक गंगा हिमालय में थी, वह केवल सप्तऋषियों और देवताओं की पूज्य रही परंतु जब वह धरती पर आई तो सबके लिए मोक्षदायिनी हो गई। माता गंगा ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमीं तिथि को हस्त नक्षत्र में हिमालय से निकली थी। स्कंद पुराण के अनुसार उस दिन 10 तरह के योग थे इसलिए इस दिन को दशहरा कहा जाता है। यह 10 योग थे ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुधवार, हस्त नक्षत्र, गरकरण, आनंदय योग, कन्या का चन्द्रमा, वृष का सूर्य व व्यतिपात। चाहे यह सभी योग हर साल इस दशहरे पर नहीं बनते है परंतु फिर भी यह दिन गंगा दशहरे के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्री राम चन्द्र जी ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व रामेश्वरम में सेतुबंध की स्थापना भी इसी दिन की थी।
गंगा जल की महिमा
गंगा सभी जीवों का उद्घार करती है इसलिए इसे मां अर्थात गंगा मैया के नाम से न केवल पूजा जाता है, बल्कि हर समय याद भी किया जाता है। गंगा मैय्या की जय जय कार बोलने से भी जीव के अनेक पाप नष्ट हो जाते हैं। श्री हरि के चरणकमलों से प्रकट हुई गंगा मनुष्य के सभी पापों का समूल नाश करती है। इस जल में स्नान करने से सहस्त्र गोदान, अश्वमेध यज्ञ तथा सहस्त्र वृषभ दान करने के समान अक्षय फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य निकलने से जैसे अंधकार मिट जाता है वैसे ही गंगा के प्रभाव से सभी कष्ट एवं पाप मिट जाते हैं, स्वास्थ्य ठीक रहता है, यश और कीर्ती फैलती है।