आस्था या अंधविश्वास: अप्सराओं से मिलना हो तो यहां जाएं

punjabkesari.in Saturday, May 05, 2018 - 06:44 PM (IST)

आज के मार्डन युग में व्यक्ति इतना मस्त होता जा रहा है की उसके पास अपनी सभ्यता-संस्कृती के लिए समय ही नहीं है। क्या आप जानते हैं भारत में आज भी दैवीय शक्तियां वास करती हैं। देवभूमि उत्तराखंड साधु-संतों से लेकर देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आस्था का केंद्र रही है। इस लेख में हम एक अद्भुत राज से पर्दा उठाएंगे, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। बचपन में आपने दादी-नानी से परियों की बहुत सारी कहानियां सुनी होंगी। क्या आप जानते हैं टिहरी ज़िले में खैंट पर्वत पर खैंटखाल मंदिर है, जहां परियां रहती हैं। थात गांव से यह मंदिर 5 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके साथ ही भिलंगना नदी बहती है। देश-विदेश से आए लोगों के लिए यहां धर्मशालाएं हैं।


वहां के स्थानीय निवासियों का कहना है, खैंट पर्वत की नौ श्रृंखलाओं में अदृश्य रूप से नौ देवियां वास करती हैं। जो बहनें हैं। इन्हें आछरी या भराड़ी नाम से जाना जाता है। विश्वास कहें या अंधविश्वास किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए पहाड़वासी इनकी पूजा करते हैं। जिससे परियां खुश होकर उन पर अपनी कृपा बनाए रखें। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है, जो लोग परियों के मन को भा जाते हैं, वह उन्हें बेहोश करके अपने साथ ले जाती हैं।


यहां आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं- ऊंची चट्टानों पर उल्टी ओखल, लहसुन की खेती, अखरोट के बागान, नैर-थुनैर नाम के दो पेड़ और भी बहुत कुछ देखा जा सकता है। 


अमेरिका की मैसाच्युसेट्स यूनिवर्सिटी से वैज्ञानिकों ने भी इस स्थान पर आकर  रिसर्च करी थी। उन्होंने भी माना यहां पर अदृश्य शक्तियां हैं, जो नज़र नहीं आती लेकिन अपने होने का अहसास करवाती हैं।


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Niyati Bhandari

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