Kawad Yatra: इस दिन से आरंभ होगी कांवड़ यात्रा, फॉलो करने होते हैं ये नियम
punjabkesari.in Sunday, Jun 01, 2025 - 03:00 PM (IST)

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Kanwar Yatra 2025: प्रत्येक वर्ष सावन मास में कांवड़ का उत्सव मनाया जाता है, कंवर (कांवर) एक खोखले बांस को बोलते हैं। इस बांस को फूल-माला, घंटी, प्लास्टिक के सर्प, घुंघरू, छोटे-छोटे खिलौने, ढपली, रंग-बिरंगी पट्टियों से सजाया जाता है और उसके दोनों किनारों पर प्लास्टिक अथवा लोहे के बोतलें या लोटों में गंगा जल भरकर हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री, काशी, विश्वनाथ, वैद्यनाथ, नीलकंठ और देवघर आदि धार्मिक गंगा स्थलों से नंगे पैर चलकर अपने घर के नजदीक शिव मंदिर में शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाया जाता है।
कावड़ का दूसरा अर्थ ‘कावर’ भी है, जिसका सीधा संबंध कंधे से है। शिव भक्त अपने कंधों पर गंगाजल से भरा कलश लेकर पैदल यात्रा करते हुए शिवलिंगों पर जल अर्पण करते हैं।
When will the Kanwar Yatra 2025 start कब से होगा कांवड़ यात्रा 2025 का आरंभ
सावन माह के आरंभ के साथ कांवड़ यात्रा शुरु हो जाती है। कांवड़ यात्रा 2025 में 11 जुलाई से शुरु होगी। कांवड़ यात्रा सावन शिवरात्रि तक होती है। सावन माह की शिवरात्रि 23 जुलाई को है। जो कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। चतुर्दशी तिथि का आरंभ 23 जुलाई को सुबह 4 बजकर 39 मिनट से होगा और समापन 24 जुलाई की रात 2 बजकर 28 मिनट पर होगा। 23 जुलाई को सावन शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा। सावन माह 11 जुलाई को रात 2 बजकर 6 मिनट से लेकर 9 अगस्त तक रहेगा।
उत्तर-प्रदेश के बागपत प्रांत में पुरा महादेव मन्दिर में भगवान परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर जिसका वर्तमान नाम ब्रजघाट है से गंगा जी का जल लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया था। तब से शिव भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु कांवड़ लाकर शिवलिंग पर जल अर्पण करते हैं। वैसे तो शिवरात्री के दिन सम्पूर्ण भारतवर्ष के शिव मंदिरों में शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है किन्तु सावन मास में कांवड़ के माध्यम से जल अर्पण करने से अत्याधिक पुण्य के साथ-साथ चारों पुरूषार्थों की प्राप्ति होती है।
Rules of Kanwar Yatra कांवड़ के नियम
कोई भी कांवड़िया अथवा सहयोगी बिना स्नान के कांवड़ को स्पर्श नहीं कर सकता।
कांवड़ लाने के दौरान तेल, साबुन, कंघी का प्रयोग निषेध है।
यात्रा के दौरान सभी कांवड़ियों को ‘भोला’ कह कर पुकारा जाता है। महिला को ‘भोली’ के नाम से सम्बोधित किया जाता है तथा बात-बात पर ‘बोल-बम’ का नारा लगाना चाहिये।
कांवड़ियों को किसी भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए। मांस, मदिरा तथा तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
किसी भी पेड़-पौधे के नीचे अपनी कांवड़ को नहीं रखना चाहिए।
चमड़े से बनी किसी भी वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
चलते हुए वाहन पर नहीं बैठना चाहिए।
कांवड़ियों को चारपाई पर बैठना और लेटना नहीं चाहिए।
कांवड़ को अपने सिर के ऊपर से लेकर जाना वर्जित है।