Jyeshtha Gauri katha: ज्येष्ठा गौरी की कथा पढ़ने और सुनने से होता है जीवन में आ रही समस्याओं का The End !
punjabkesari.in Monday, Sep 01, 2025 - 07:20 AM (IST)

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Jyeshtha Gauri 2025: ज्येष्ठा गौरी की कथा भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। ज्येष्ठा देवी जिन्हें ज्येष्ठा गौरी भी कहा जाता है, भारतीय धर्मों में विशेष रूप से पूजी जाती हैं। उनका स्थान विशेष रूप से हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है और उनकी पूजा का उद्देश्य भक्तों को दुख और समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करना होता है। ज्येष्ठा देवी का संबंध भगवान शिव और देवी पार्वती से है।
Story of Jyeshtha Gauri: कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और देवी पार्वती ने एक विशेष यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में सभी देवताओं और देवियों को आमंत्रित किया गया। सभी देवताओं के बीच, देवी पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को इस यज्ञ की अध्यक्षता के लिए चुना लेकिन यज्ञ के दौरान, कुछ अड़चनें आईं और यज्ञ का पूरा लाभ नहीं हो सका।
उसी समय, देवी ज्येष्ठा ने यज्ञ में बाधा डालने का निर्णय लिया। वे एक डरावनी और कुपित रूप में प्रकट हुईं। उनका उद्देश्य था कि यज्ञ में विघ्न डालकर सभी देवताओं को परेशान किया जाए। वे अपने इस रूप में अपने अनुयायियों को अपने प्रभाव में लेने लगीं और यज्ञ को बर्बाद कर दिया।
इस दौरान देवी पार्वती ने भगवान शिव से प्रार्थना की और विनती की कि वे इस समस्या को हल करें। भगवान शिव ने देवी ज्येष्ठा की ओर ध्यान दिया और उन्हें समझाया कि उनका यह व्यवहार सही नहीं है। देवी ज्येष्ठा ने अपनी गलती को स्वीकार किया और यज्ञ को ठीक करने के लिए प्रयास किए। इस प्रकार वे यज्ञ में उपस्थित सभी देवताओं की सहायता करने लगी।
इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों ही गुण होते हैं। देवी ज्येष्ठा का दुष्ट रूप भी एक महत्वपूर्ण पाठ प्रदान करता है कि किसी भी समस्या का समाधान संवाद और समझदारी से किया जा सकता है। इसके साथ ही, यह भी दर्शाता है कि हर समस्या के लिए एक समाधान होता है, जो ईश्वर की कृपा और सही मार्गदर्शन से मिल सकता है।
ज्येष्ठा देवी की पूजा का उद्देश्य है दुखों से मुक्ति और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति। उनके आदर्श से हमें यह सीखने को मिलता है कि जीवन में आ रही समस्याओं को धैर्य और समझदारी से सुलझाना चाहिए।