ज्येष्ठ अमावस्या पर पढ़ें ये कथा, पति की लंबी आयु के साथ मिलेगा शनि का आशीर्वाद
punjabkesari.in Thursday, Jun 06, 2024 - 10:36 AM (IST)
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Importance of Jyeshtha Amavasya and Shani Jayanti ज्येष्ठ अमावस्या और शनि जयंती का महत्व: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि देव का जन्म हुआ था, इसलिए ज्येष्ठ अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। वैदिक ज्योतिष में शनि देव सेवा और कर्म के कारक हैं। अतः इस दिन उनकी कृपा पाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शनि देव न्याय के देवता हैं, उन्हें दण्डाधिकारी और कलियुग का न्यायाधीश कहा गया है। शनि शत्रु नहीं बल्कि संसार के सभी जीवों को उनके कर्मों का फल प्रदान करते हैं।
Shani Birth Story शनि जन्म कथा: शनि देव के जन्म से संबंधित एक पौराणिक कथा बहुत प्रचलित है। इस कथा के अनुसार शनि, सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। सूर्य देव का विवाह संज्ञा से हुआ था और उन्हें मनु, यम और यमुना के रूप में तीन संतानों की प्राप्ति हुई। विवाह के बाद कुछ वर्षों तक संज्ञा सूर्य देव के साथ रहीं लेकिन अधिक समय तक सूर्य देव के तेज को सहन नहीं कर पाईं। इसलिए उन्होंने अपनी छाया को सूर्य देव की सेवा में छोड़ दिया और कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ। हालांकि सूर्य देव को जब यह पता चला कि छाया असल में संज्ञा नहीं है तो वे क्रोधित हो उठे और उन्होंने शनि देव को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद से ही शनि और सूर्य में पिता-पुत्र होने के बावजूद एक-दूसरे के प्रति वैर भाव रखने लगे।
Vat Savitri Vrat वट सावित्री व्रत: यह सौभाग्यवती स्त्रियों का प्रमुख पर्व है, हालांकि इस व्रत को कुमारी और सुहागन महिलाएं कर सकती हैं। इस व्रत का पूजन ज्येष्ठ अमावस्या को किया जाता है। इस दिन महिलाएं वट यानि बरगद के वृक्ष का पूजन करती हैं। यह व्रत स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगल कामना के साथ करती हैं। इस दिन सत्यवान-सावित्री की यमराज के साथ पूजा की जाती है।
Jyeshtha Amavasya Muhurta ज्येष्ठ अमावस्या मुहूर्त: 5 जून 2024 को 7:57:21 से अमावस्या आरम्भ
6 जून 2024 को 6:09:36 पर अमावस्या समाप्त
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
9005804317