Janjehli Valley: जाइए प्राकृतिक सौंदर्य से ओत-प्रोत जंजैहली घाटी में करें सुंदर मंदिरों का दर्शन

punjabkesari.in Sunday, Apr 07, 2024 - 10:02 AM (IST)

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Janjehli valley of Mandi: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में स्थित जंजैहली घाटी पहाड़ों की सुरम्य गोद में स्थित एक ऐसा स्थान है, जहां आप किसी दौड़ते-भागते शहर से पहुंचते हैं, तो यहां की साफ-सुथरी प्राकृतिक सुंदरता, कल-कल करती बाखली खड्ड पहाड़ी नदी आपके मन को मोहित करते हुए आनंद भरे सुकून से भर देती है। जंजैहली घाटी के किसी कोने से जब भी हम पहाड़ी पर नजर डालते हैं तो यह हमें ऐसा आभास कराती है जैसे हम उसके पास खड़े हैं। यदि हम सुबह के समय इस पर नजर डालें तो सूर्य की सुनहरी किरणों की आभा में यह नई-नवेली दुल्हन सी दिखती है। यहां के बदलते मोहक दृश्य मन को असीम शांति देते हैं।

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गौरतलब है कि यात्राओं के दौरान हिमाचल प्रदेश में स्थान-स्थान पर ‘होम स्टे’ से पर्यटन को बढ़ावा मिलने से अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ हुई है। सफर में खिली धूप सुकून देती है, तो एकाएक बर्फ से ढंकी चोटियों से आती बर्फीली हवा और बादलों के झुंडों के बीच से गुजरना किसी कल्पना लोक में विचरण करने से कम नहीं होता।

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जंगल घनघोर है। कभी-कभी मृग, घोरल और अन्य वन्य प्राणियों के दर्शन हो जाते हैं। इस जंगल में अनेक प्रकार की चिड़ियां भी देखी जाती हैं, जो यात्रियों का मधुर गीत से स्वागत करती हैं। जंगल में अनेक प्रजाति के पेड़ हैं। सेब, आलूबुखारा, काफल जैसे फलों की भरमार है। एक चोटी पर स्थित शिकारी देवी का मंदिर देखना प्रगाढ़ आस्था का प्रतीक है। बताते हैं कि यह मंदिर पांडवों द्वारा निर्मित है जो अपने एकांतवास में यहां आकर रहे थे। माटी की महकती सौंध, हरियाली की चकाचौंध, सांस्कृतिक पहाड़ी परिवेश का सुबोध, मंदिरों का सौंदर्य, पहाड़ी स्वाभिमान, सब कुछ यहां आने वालों को मिलता है।

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मंडी में स्थित बगलामुखी मंदिर भी काफी लोकप्रिय तथा भक्तों का प्रिय है। यहां मगरूगला गांव का भ्रमण भी मन को प्रफुल्लित करता है। यहां से बर्फ से ढंके पहाड़ तथा दूर तक फैली घाटी के दृश्य आसानी से देखे जा सकते हैं। यहां दौलत राम का आपातकालीन घर है। बताते हैं कि जब यात्री अचानक बर्फबारी में फंस जाते हैं तो उनका काठ-मिट्टी का मात्र दो कमरे का घर संकटमोचक की भूमिका निभाता है। दौलत राम ऐसे संकट में पड़े यात्रियों को अपने घर में पनाह देकर उनकी हिफाजत करते हैं। वह यह काम वर्षों से करते आ रहे हैं और जीवनपर्यंत करते रहने का वचन देते हैं। दौलत राम कहते हैं कि इंसान ही नहीं, दुनिया की कोई भी नस्ल जल, जंगल और जमीन के बिना जिंदा नहीं रह सकती। ये तीनों हमारे जीवन का आधार हैं।

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पहाड़ी यात्रा बहुत खूबसूरत होती है। यहां दुनिया के तमाम संगीत से ज्यादा सुंदर संगीत होता है। सामने पेड़ पर पीले-पीले आलूबुखारे दिखाई दे रहे थे। यहां हिरण की अनेक प्रजातियां हैं, जोकि आकार, रंग त्वचा के धब्बों तथा पाए जाने वाले क्षेत्रों में एक दूसरे से भिन्न हैं। हिरण उन स्थानों में रहना पसंद करते हैं, जहां प्रचुर मात्रा में हरियाली हो क्योंकि हरी दूब, पत्तियां हिरणों का प्रमुख आहार हैं। यहां ये परभक्षियों का कम ही शिकार होते हैं। आबादी वाले गांव लस्सी में घरों में बकरियां पाली जाती हैं। अमरीका के निवासी स्ट्रोक ने 18वीं सदी में यहां अमरीका से सेब के पौधे लाकर रोपे थे, जो आम हिमाचलियों के लिए बड़ा आर्थिक साधन है।  

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Kamrup Mahadev Temple कामरूप महादेव मंदिर
एक छतरी के आकार के विशाल पेड़ से कामरूप महादेव मंदिर का निर्माण होने से लोग इस क्षेत्र को छतरी (गांव छतरी) कहने लगे। छतरी के प्राकृतिक सौंदर्य में रचे-बसे वृक्ष वन की शोभा देने वाले बुरांश फूल और खुबानी की लोकप्रियता यहां अमर है। पुजारी इस कलात्मक कामरूप महादेव मंदिर के बारे में बताते हैं कि एक समय व्यापारियों का एक दल मंडी व्यापार के सिलसिले में आ रहा था कि अचानक सभी दृष्टिहीन हो गए। जब उनके मुखिया ने एक जानकार से इस विपदा का कारण जानना चाहा तो उसने देवता का कुपित होना बताया और कहा कि आप लोग यहां महादेव भगवान का मंदिर निर्माण का वचन दीजिए, सब कुछ यथावत ठीक हो जाएगा।

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मुखिया के वचन देने पर सभी की दृष्टि वापस आ गई। दल के सदस्यों ने तब तक एक विशाल भू-भाग का चयन किया और अपने धन से कामरूप महादेव मंदिर का निर्माण किया। इस कलात्मक मंदिर की खासियत है कि मंदिर के भीतरी भाग की छत पर महाभारत रामायण के काष्ठ में सुंदर चित्र उकेरे गए हैं।

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Pandav Shila पांडव शिला
यहां ‘पांडव शिला’ भी है। स्थानीय निवासियों का विश्वास है कि यह विशाल शिला पांडव पुत्र भीम ने स्थापित की थी। इस शिला को आप हाथ के जोर से हिला सकते हैं। 

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Content Writer

Niyati Bhandari

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