Jalian wala bhag: आज है इतिहास का काला दिन, जलियांवाला बाग नरसंहार

punjabkesari.in Saturday, Apr 13, 2024 - 07:51 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Jalian wala bhag: पंजाब, स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र रहा है। भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करवाने के लिए देश के कोने-कोने में गूंज रहे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारों से घबरा कर अंग्रेजों ने इस बुलंद आवाज को दबाने के लिए 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में जघन्य नरसंहार करके एक ऐसा घाव दिया जो 104 साल बाद भी रिस रहा है। उस दिन ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजों की सेना ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर निहत्थे, शांत बुजुर्गों, महिलाओं तथा बच्चों सहित सैंकड़ों लोगों की हत्या और हजारों लोगों को घायल कर दिया था। यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सर्वाधिक प्रभाव डाला था तो वह यह जघन्य नरसंहार ही था।

PunjabKesari Jalian wala bhag

इसी जलियांवाला बाग परिसर में शहीदों की याद में एक शहीद स्मारक बनाया गया है, जहां रोज हजारों लोग शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। भारत में ब्रिटिश सरकार ने स्वतंत्रता के राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के लिए 18 मार्च, 1919 को रोलेट एक्ट रूपी एक काला कानून पास किया। जिसके अंतर्गत ब्रिटिश सरकार को प्रैस पर सैंसरशिप लगाने, बिना मुकद्दमे चलाए नेताओं को कैद करने, बिना वारंट लोगों को गिर तार करने, विशेष फरमानों से सजा देने व बिना जवाबतलबी बंद कमरों में मुकद्दमा चलाने आदि अधिकार दिए गए थे।

इनके विरुद्ध पूरा भारत उठ खड़ा हुआ। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में आंदोलन अपने चरम पर पहुंच चुका था। अमृतसर में स्वतंत्रता सेनानियों के दो बड़े नेता डॉ. सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को गिर तार कर कालापानी की सजा दे दी गई थी। 10 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के उप कमिश्नर के घर पर इन दोनों की रिहाई के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया, लेकिन अंग्रेजों ने शांतिपूर्ण विरोध कर रही जनता पर गोलियां चलवा दीं, जिससे तनाव बढ़ गया और उस दिन कई बैंकों, सरकारी इमारतों, टाऊन हॉल, रेलवे स्टेशनों में अगजनी की गई।

अगले दो दिन अमृतसर तो शांत रहा, लेकिन हिंसा पंजाब के अन्य क्षेत्रों में फैल गई। इसे कुचलने के लिए अंग्रेजों ने पंजाब के अधिकांश हिस्सों में मार्शल-लॉ लगा दिया और 12 अप्रैल को आंदोलन के कई अन्य नेताओं को गिर तार करने के आदेश दे दिए। अंग्रेजों का विरोध करने के लिए नेताओं ने 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी पर जलियांवाला बाग परिसर में विरोध सभा करने की घोषणा की।

जब नेता बाग में पड़ी रूढ़ियों के ढेर पर खड़े होकर भाषण दे रहे थे तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड डायर गोलियों से लदी राइफलोंं से लैस 90 ब्रिटिश सैनिकों के साथ वहां आ पहुंचा और उसने अपने सैनिकों के साथ जलियांवाला बाग की ओर जाने वाले एकमात्र संकरे रास्ते को भर दिया। बाग में पहुंचे नागरिकों को घेर लिया और बिना किसी चेतावनी के निहत्थी महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों पर गोलियां चलाने का आदेश दे दिया।

PunjabKesari Jalian wala bhag

10 मिनट में लगभग 1650 राऊंड फायर किए गए। बगीचे से बाहर निकलने के लिए मुख्य द्वार के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। हालांकि इस नरसंहार में हजारों निर्दोष लोग मारे गए, लेकिन आधिकारिक दस्तावेजों में केवल 379 लोगों की मृत्यु ही बताई गई।

इस फायरिंग के दौरान कुछ लोग जान बचाने के लिए वहां मौजूद कुएं में कूद गए, लेकिन अफसर ने वहां छिपे लोगों पर भी गोली चलाने का आदेश दे दिया। बताया जाता है कि बाद में कुएं से लगभग 120 लोगों के शव निकाले गए। इस नरसंहार का समाचार देश-विदेश में आग की तरह फैल गया। स्वतंत्रता की तड़प न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश के बच्चे-बच्चे के सिर चढ़ कर बोलने लगी। हजारों भारतीयों ने जलियांवाला बाग की मिट्टी अपने माथे पर लगाकर देश को आजाद करवाने का संकल्प लिया और अंग्रेजों के विरुद्ध गतिविधियां तेज हो गईं।

इस घटना के बाद जब ऊधम सिंह घायलों की मदद के लिए आए तो दृश्य देख कर उन्होंने इस घटना के दोषियों को सजा देने की कसम खाई और 20 वर्ष 11 महीने बाद 13 मार्च, 1940 को उन्होंने ब्रिटिश लैफ्टिनैट गवर्नर माइकल ओडवायर की ब्रिटेन में गोलियां मारकर हत्या कर दी। इस अपराध की सजा के रूप में ऊधम सिंह को 31 जुलाई, 1940 को फांसी पर चढ़ा दिया गया।

PunjabKesari Jalian wala bhag

भारतीय कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित करके यहां पर एक स्मारक बनाने के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना कर मैमोरियल पार्क के लिए जमीन खरीदी थी जिस पर अमरीकी वास्तुकार बेंजामिन पोलक का डिजाइन किया हुआ एक स्मारक बनाया गया।

2019 में जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 वर्ष पूरे होने पर तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू ने व्यक्तिगत रूप से यहां पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। केंद्र सरकार ने अब करोड़ों रुपए खर्च करके स्मारक दीर्घा (गैलरी) को नया रूप देकर शहीदों की प्रतिमाएं स्थापित की हैं।

आगंतुक इस गैलरी के माध्यम से परिसर में प्रवेश करते हैं। ये मूर्तियां विभिन्न क्षेत्रों के साधारण पंजाबियों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन पार्क में गए तो थे, लेकिन कभी वापस नहीं आए। इसके अलावा चार नई यूजियम गैलरियों का निर्माण किया गया है जिनमें पंजाब की ऐतिहासिक घटनाओं को दर्शाया गया है।

इतिहासकारों के अनुसार जलियांवाला बाग नरसंहार पंजाब के गवर्नर माइकल ओडवायर, जनरल डायर और ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा रची गई एक साजिश थी। सभी मिलकर पंजाबियों और क्रांतिकारियों को डराना चाहते थे ताकि फिर से 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन जैसी स्थिति पैदा न हो।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News