Kundli Tv- बजरंगबली के इस धाम के बारे में कितना जानते हैं आप?

punjabkesari.in Saturday, Dec 08, 2018 - 02:52 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
अगर पौराणिक कथाओं और मान्यताओं की मानें तो आज भी धरती पर देवी-देवता की मौज़ूदगी के कई प्रमाण मिलते हैं। परंतु हम में से बहुत से ऐसे लोग हैं, जो इन बातों पर यकीन नहीं करते कि आज भी धरती पर भगवान हैं। इसके अलावा कईं ऐसे भी लोग हैं जिन्हें भगवान की वास्तविकता पर शक करते हैं। कहने का मतलब है कि लोगों को इस बात पर भी शक है कि क्या सच में भगवान हैं। आज हम ऐसे ही लोगों के लिए ऐसी जानकारी लेकर आएं है, जिसे जानने के बाद शायद उनको विश्वास हो जाए कि भगवान हैं।
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हिंदू धर्म के अनुसार भगवान ने राक्षसों का वध करने लिए कई अवतार लिए हैं। आज हम उन्हीं अवतारों में से एक प्रमुख अवतार के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं कि शिव जी के रूद्र रूप बजरंगबली की। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को उन्हीं (राम जी) से अमरता का वरदान प्राप्त हुआ था। इसलिए सबका मानना है कि ये पवनपुत्र हनुमान आज भी इस धरती पर जीवित है। तो आइए इनके एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करते हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि भगवान है, और हमेशा इस धरती पर रहेंगे।
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बता दें कि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब मेघनाथ द्वारा श्रीराम के भाई लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया था। तो श्रीराम की आज्ञा पर हनुमान संजीवनी बूटी लेने गए थे तो इस स्थान से गुज़रे थे।
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ये स्थान या मंदिर समुद्र तल से 8048 फीट की ऊंचाई पर या कहे कि शिमला शहर की बहुत ही खुबसूरत और मनोरम जाखू पहाड़ी पर स्थित है। मान्यता है कि इस चोटी पर अंजनीसुत हनुमान का मंदिर पूरे देश के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। न केवल देश बल्कि विदेशों से भी मंदिर को देखने लोग आते रहते हैं। अगर हिंदू धर्म के शास्त्रों की मानें तो ये धार्मिक स्थल रामायण काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि देश में सबसे ज्यादा वानर (बंदर) यहीं पाए जाते हैं। इन बंदरों के बारे में भी एक मान्यता है कि ये बंदर रामायण काल से आज तक पवनपुत्र का इंतजार कर रहे हैं।
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इस मंदिर में जाखू मंदिर के प्रांगण में बजरंगबली जी की 108 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा स्थापित है, जिसे शिमला के किसी भी कोने से आसानी से देखा जा सकता है। भक्तों का मानना है कि यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होती है। बाद में इसका नाम यक्ष ऋषि के नाम पर ही यक्ष से याक, याक से याकू, याकू से जाखू तक बदलता गया।
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क्या है इस मंदिर की कहानी
जब मेघनाथ द्वारा श्रीराम के भाई लक्षमण को मूर्छित कर दिया था। तो श्रीराम की आज्ञा पर हनुमान संजीवनी बूटी लेने गए थे तो इस स्थान से गुज़रे थे। उसी समय उनकी नज़र यहां तपस्या कर रहे यक्ष ऋषि पर पड़ी। हनुमान जी विश्राम करने और संजीवनी बूटी का परिचय प्राप्त करने के लिए जाखू पर्वत के जिस स्थान पर उतरे, और उन्होंने यक्ष ऋषि से वापस जाते हुए उन्होंने मिलकर जाने का वचन दिया। मार्ग में कालनेमि नामक राक्षस के कुचक्र में फंसने के कारण समय के अभाव में हनुमान जी छोटे मार्ग से अयोध्या होते हुए चल पड़े। जब वह वापस नहीं लौटे तो यक्ष ऋषि व्याकुल हो गए। कहा जाता है कि यक्ष ऋषि को इस तरह व्याकुल देखकर हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए जिसके बाद इस स्थान पर हनुमान जी की स्वयंभू मूर्ति प्रकट हो गई। कहते हैं इस मूर्ति को लेकर ही यक्ष ऋषि ने इस स्थान पर हनुमान जी का मंदिर बनवाया। कहते हैं जिस स्थान पर उतरकर हनुमान जी ने ऋषि से मिले थे वहां आज भी उनके पद चिह्नों को संगमरमर से बनवा कर रखा गया है। जिसके दर्शनों को आज भी लोग दूर-दूर से आते हैं।
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Jyoti

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