प्रशंसा का मीठा जहर आपको भी लगता है अच्छा, पढ़ें रोचक कथा
punjabkesari.in Wednesday, Feb 08, 2023 - 12:40 PM (IST)

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संत शिबली की प्रसिद्धि बढ़ रही थी। एक बार वह अपने गुरु से मिलने उनके आश्रम में गए। आश्रम में एक शिष्य बोला, ‘‘आपके दर्शन पाकर मेरा जन्म सफल हो गया।’’ हर कोई संत शिबली के प्रति आदर और सत्कार प्रदर्शित कर रहा था। यह देखकर गुरुजी बोले, ‘‘अरे, यह यहां कहां आ गया, इस नीच शिबली को यहां से भगाओ। यह इस आश्रम के योग्य नहीं है।’’
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शिबली को इन कड़वे वचनों में भी कुछ अच्छाई ही दिखाई दे रही थी। थोड़ी देर बाद गुरुजी शिष्यों को संबोधित कर बोले कि गलती शिबली की नहीं तुम सबकी है।
तुम्हारी नासमझी की वजह से मुझे उससे अपमानजनक व्यवहार करना पड़ा। तुम उसकी प्रशंसा कर उसे पतन और अहकांर की गर्त में गिराने लगे थे।
गुरु जी ने बात जारी रखते हुए कहा कि प्रशंसा वह मीठा जहर है जिसे बिरले ही पचा पाते हैं। अगर किसी का पतन करना हो तो उसकी प्रशंसा करो। शिबली तो मेरे जिगर का टुकड़ा है। सच्चा गुरु कड़वा घूंट पीकर भी अपने शिष्य को सन्मार्ग की ओर अग्रसर करता है।