Inspirational Story: जीवन में प्रसन्न रहने की कला सीखनी है तो इस कहानी से लें प्रेरणा

punjabkesari.in Friday, Mar 21, 2025 - 11:03 AM (IST)

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Inspirational Story: एक चौराहे पर तीन यात्री मिले। तीनों के कंधों पर दो-दो झोले आगे-पीछे लटके हुए थे। अपनी लंबी यात्रा से तीनों थके हुए थे। लेकिन एक यात्री के चेहरे पर प्रसन्नता और उत्साह का भाव था, जबकि दूसरा यात्री श्रम से थका हुआ तो था, लेकिन निराश या क्लांत नहीं था पर तीसरा बेहद मुरझाया हुआ और  दुखी दिख रहा था। 

तीनों एक पेड़ की छाया में बैठकर सुस्ताने लगे। बातचीत होने लगी कि किसके झोले में क्या रखा है।

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एक ने बताया कि उसने अपने पीछे के झोले में कुटुम्बियों और उपकारी मित्रों की भलाइयां भर रखी थीं और सामने के झोले में उन लोगों की बुराइयां रखी थीं। 

दूसरे ने आगे के झोले में अपने मित्रों और हितैषियों की अच्छाइयां लटका रखी थीं और उनकी बुराइयों का झोला पीछे लटका रखा था जिन्हें देखकर अपनी सराहना करता और खुश होता।

फिर तीसरे यात्री से उन दोनों ने पूछा,  “तुम्हारे झोलों में क्या भरा है ? आगे का झोला तो काफी भारी लगता है, जबकि पीछे का झोला हल्का है।” 

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उसने बताया कि उसने भी अच्छाइयों का झोला आगे और बुराइयों का झोला पीछे लटका रखा है। लेकिन पीछे के थैले में एक छेद है इसलिए बुराइयां टिकती नहीं, एक-एक कर गिर जाती हैं और पीछे का वजन हल्का हो जाता है। जिस यात्री ने आगे के झोले में अच्छाइयां और पीछे के झोले में बुराइयां भर रखी थीं, वह प्रसन्न था क्योंकि चलते समय उसकी नजर हमेशा अच्छाइयों पर ही पड़ती थी और बुराइयों को वह भूला रहता था। जिसके झोले में छेद था वह उत्साह से भी भरा रहता था क्योंकि चलते समय वह आगे लटकी अच्छाइयों को तो देखता ही था उस पर बुराइयों का वजन भी कम रहता था।

वे रास्ते में धीरे-धीरे गिर जाती थीं। लेकिन जिसने बुराइयों का झोला आगे और अच्छाइयों का झोला पीछे लटका रखा था, वह हमेशा थका हुआ और निराश रहता था। यही जीवन यात्रा का सार तत्व है।

 

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Content Editor

Prachi Sharma

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