Inspirational Story: प्रतिदिन करेंगे ये काम तो जल्द ही बन जाएंगे विद्वान

punjabkesari.in Tuesday, Jun 11, 2024 - 11:37 AM (IST)

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Inspirational Story: प्राचीन समय में बोपदेव संस्कृत भाषा के बहुत बड़े विद्वान हुए। छात्र जीवन में उनकी याददाश्त बहुत कमजोर थी। काफी कोशिशों के बावजूद व्याकरण के सूत्र उन्हें याद नहीं होते थे। इसके लिए गुरुकुल में उनके सहपाठी उन्हें मंदबुद्धि कहकर चिढ़ाते थे। निराश होकर एक दिन वह गुरुकुल से भाग गए।  

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काफी देर चलने के बाद उन्हें प्यास लगी, तो एक कुएं के पास आकर रुके। कुएं से गांव के लोग पानी भरकर ले जा रहे थे।  

बोपदेव ने पानी भरने वाली एक महिला से पानी मांगा और पिया। थकान मिटाने के लिए वह कुएं के किनारे बैठकर सुस्ताने लगे। अचानक उनकी नजर कुएं की ‘मुंडेर’ पर पड़ी जो पत्थर की बनी हुई थी। उन्होंने गौर से देखा कि उस पर रस्सी खींचने के अनेक निशान बन गए थे। जहां पर महिलाएं पानी भरने के लिए घड़ा रखती थीं, वहां भी गड्ढे बन गए थे। पत्थर पर पड़े निशान को देखकर बोपदेव चिंतन करने लगे कि जब एक मुलायम रस्सी के बार-बार रगड़ने से पत्थर पर भी गड्ढे पड़ सकते हैं तो फिर क्या लगातार अभ्यास करने से मैं विद्वान नहीं बन सकता। यह विचार करते हुए उन्होंने मन ही मन संकल्प किया कि चाहे कुछ भी हो अब मैं पूरी मेहनत से पढ़ूंगा।

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मन में दृढ़ संकल्प करके बोपदेव उठे और वापस गुरुकुल की ओर चल दिए। गुरुकुल पहुंचकर बोपदेव लगातार तल्लीन होकर पढ़ने लगे। फिर परिणाम भी जल्दी ही सामने आ गया।  

उन्हें अब सहजता से व्याकरण के सूत्र याद होने लगे। अंत में उन्होंने गुरुकुल में उच्च स्थान प्राप्त किया और उसके बाद संस्कृत भाषा के महान विद्वान पाणिनी के कठिन व्याकरण को सरल बनाकर प्रसिद्ध ‘मुग्धबोध’ नामक ग्रंथ की रचना कर डाली। उन्हें राजदरबार का महापंडित भी बनाया गया।
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Content Editor

Prachi Sharma

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