Inspirational Story: राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के अतिथि सत्कार का यह अंदाज जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

punjabkesari.in Saturday, Sep 16, 2023 - 09:34 AM (IST)

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Inspirational Context: राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन उन दिनों उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष थे। उनके मिलनसार स्वभाव के कारण उनके यहां अतिथियों का आना-जाना लगा रहता था। उस समय देश में गेहूं-चावल का अभाव था। सरकार ने राशन की दुकानों से गेहूं चावल का इंतजाम कर दिया था ताकि इस कमी पर नियंत्रण रहे और जनसामान्य को उचित दर पर अनाज पर मिल सके। टंडन जी के यहां गेहूं-चावल आने के पहले हफ्ते में ही खत्म हो जाता था, इसके बाद जौ की रोटियां बनाई जाती थीं।

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एक दिन टंडन जी को संदेश मिला कि कांग्रेस के कुछ नेता बिहार से लखनऊ आ रहे हैं। टंडन जी के यहां वे सभी दोपहर का भोजन करके हवाई जहाज से दिल्ली चले जाएंगे।

उन्होंने रसोइए से बताया तो उसने कहा, ‘‘गेहूं का आटा और दाल चावल पहले ही समाप्त हो चुका है लेकिन आप चिंता न करें मैं खुले बाजार से ब्लैक में आटा और चावल ले आता हूं ताकि मेहमानों की खातिरदारी बराबर की जा सके।

लेकिन टंडन जी ने इस बात का विरोध किया और उन्होंने कहा, ‘‘मैं ब्लैक में राशन नहीं मंगवाऊंगा जो उपलब्ध है उसी से भोजन तैयार होगा।’’

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उन्होंने रसोइए को कहा, ‘‘बगीचे से आलू मंगवा लीजिए और उन्हें उबालकर छिलका निकाल कर थाली में रख दें। साथ में नमक और काली मिर्च भी।’’

रसोइए को यह बात समझ में नहीं आ रही थी। टंडन जी के सामने वह कुछ नहीं बोल पाए। अतिथि आए बातचीत के बाद टंडन जी उन्हें भोजन की मेज पर ले गए।

वह बोले, ‘‘आज आटा दाल-चावल समाप्त हो गया है और मैंने पार्टी के पैसों से ब्लैक में अनाज लेना उचित नहीं समझा। आज आप लोगों को यही भोजन ग्रहण करना पड़ेगा।

मेहमानों ने बिना कुछ कहे बड़े प्रेम से वह भोजन ग्रहण किया। उन्होंने टंडन जी के सिद्धांत और आदर्श की प्रशंसा की।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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