हकीकत या फसाना: अनाज की जगह उगे मोती, पढ़ें रोचक कथा

punjabkesari.in Wednesday, May 25, 2022 - 10:58 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

किसी नगर में एक राजा रहता था। रानी के साथ वह प्राय: प्रजा के कष्टों को जानने के लिए घूमा करता। एक दिन वह शहर के बाहर चला गया। उसने देखा एक खेत में किसान हल चला रहा है। हल में एक ओर बैल जुता है जबकि दूसरी ओर उसकी स्त्री हल खींच रही है। 

राजा को बड़ा दुख हुआ। वह किसान के पास जाकर बोला, ‘‘तुम यह क्या कर रहे हो?’’ 

किसान ने कहा, ‘‘मैं क्या करूं। मेरा एक बैल मर गया है और मुझे खेत की बुवाई करनी है।’’ 

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राजा ने कहा, ‘‘मेरी बात सुनो।’’ 

किसान बोला, ‘‘मेरे पास बिल्कुल भी समय नहीं है।’’ 

राजा ने कहा, ‘‘मेरा एक बैल ले लो।’’  

किसान बोला, ‘‘तुम्हारी घर वाली नहीं मानी तो ?’’  

‘‘अपनी स्त्री को भेज दो।’’ राजा ने कहा, ‘‘वह बात कर आएगी।’’ 

किसान मुंह बनाकर बोला, ‘‘उसके जाने से मेरा काम रुक जाएगा।’’ 

राजा ने कहा, ‘‘उसकी जगह में हल खींच दूंगा।’’

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किसान ने अपनी स्त्री को रानी के पास भेज दिया और उसकी जगह राजा हल खींचने लगा। 

स्त्री ने रानी से सारी बात कह सुनाई। सुनते ही रानी बोली, ‘‘बहन, तुम्हारा बैल बूढ़ा है, हमारा बैल जवान। दोनों क्या एक साथ चलेंगे?’’ 

किसान की स्त्री ने कहा, ‘‘तुम अपना बैल नहीं देना चाहती हो तो मत दो। बहाना क्यों बनाती हो?’’ 

रानी बोली, ‘‘मेरे कहने का मतलब है, कि तुम दोनों बैलों को ले जाओ।’’ 

किसान की स्त्री चकित रह गई। रानी ने दोनों बैल उसे दे दिए। उन बैलों की मदद से उन्होंने शाम तक सारे खेत में बीज डाल दिए। कुछ दिन बाद फसल बड़ी हुई। 

किसान ने देखा कि जितनी धरती पर राजा ने हल खींचा था और उसके पसीने की बूंदें टपकी थीं, वहां अनाज नहीं मोती उगे हैं। किसान ने अपनी आंखें मलीं, उसे कहीं भ्रम तो नहीं हो रहा पर वे सचमुच मोती ही थे। शायद वे प्रजावत्सल राजा के श्रम से उपजे मोती थे।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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