Inspirational Context: इस कहानी से जानें, आपकी झोली में क्या है आभार की रोशनी या शिकायतों की छाया?

punjabkesari.in Monday, Nov 03, 2025 - 06:01 AM (IST)

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Inspirational Context: एक चौराहे पर 3 यात्री मिले। तीनों के कंधों पर 2-2 झोले आगे-पीछे लटके हुए थे। अपनी लम्बी यात्रा से तीनों थके हुए थे। लेकिन एक यात्री के चेहरे पर प्रसन्नता और उत्साह का भाव था। दूसरा यात्री श्रम से थका हुआ तो था, लेकिन निराश नहीं था, पर तीसरा बेहद मुरझाया हुआ और दुखी दिख रहा था। तीनों एक पेड़ की छाया में बैठकर सुस्ताने लगे। बातचीत होने लगी कि किसकी झोली में क्या रखा है।

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एक ने बताया कि उसने अपनी पीछे की झोली में कुटुुम्बियों और उपकारी मित्रों की भलाइयां भर रखी हैं और सामने की झोली में उन लोगों की बुराइयां रखी हैं। दूसरे ने आगे के झोले में अपने मित्रों और हितैषियों की अच्छाइयां लटका रखी थीं और उनकी बुराइयों की थैली पीछे लटका रखी थी, जिन्हें देखकर अपनी सराहना करता और खुश होता। फिर तीसरे यात्री ने बताया कि उसने भी अच्छाइयों की थैली आगे और बुराइयों की थैली पीछे लटका रखी है। लेकिन पीछे की थैली में एक छेद है, इसलिए बुराइयां टिकी नहीं, एक-एक कर गिर जाती हैं और पीछे का वजन हल्का हो जाता है।

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जिस यात्री ने आगे के झोले में अच्छाइयां और पीछे के झोले में बुराइयां भर रखी थीं, वह प्रसन्न था क्योंकि चलते समय उसकी नजर हमेशा अच्छाइयों पर ही पड़ती थी और बुराइयों को वह भूला रहता था। जिसके थैले में छेद था वह उत्साह से भी भरा रहता था क्योंकि चलते समय वह आगे लटकी अच्छाइयों को तो देखता ही था, उस पर बुराइयों का वजन भी कम रहता था। वे रास्ते में धीरे-धीरे गिर जाती थीं। लेकिन जिसने बुराइयों की थैली आगे और अच्छाइयों की थैली पीछे लटका रखी थी, वह हमेशा थका और निराश रहता था। यही जीवन यात्रा का सार तत्व है।

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Content Editor

Sarita Thapa

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