Inspirational Context: अगर आप भी है Non-veg खाने के शौकीन तो यहां कथा बदल सकती है आपकी सोच
punjabkesari.in Sunday, Mar 16, 2025 - 01:12 PM (IST)

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Inspirational Context: भगवान बुद्ध सद् विचारों का प्रचार करने के बाद राजगीर लौटे। लेकिन नगर में सन्नाटा था। उनके एक अनुयायी ने उन्हें बताया, “भगवन्! एक राक्षसी को बच्चों का मांस खाने की लत लग गई है। नगर के अनेक बच्चे गायब हो गए हैं। इससे नागरिकों ने या तो नगर छोड़ दिया है या वे अपने घरों में दुबके बैठे हैं।”
भगवान बुद्ध को यह भी पता चला कि उस राक्षसी के कई बच्चे हैं। एक दिन बुद्ध राक्षसी की अनुपस्थिति में खेल के बहाने उसके छोटे बच्चे को अपने साथ ले आए।
राक्षसी जब घर लौटी, तो अपने बच्चे को गायब पाकर बेचैन हो उठी। सबसे छोटा होने के कारण उसका उस बालक से अतिरिक्त लगाव था। बेचैनी में ही उसने अपनी रात काटी। सुबह जोर-जोर से उसका नाम पुकार कर उसे ढूंढने लगी। विछोह के दर्द से वह तड़प रही थी।
अचानक उसे सामने से बुद्ध गुजरते दिखाई दिए। उसने सोचा कि बुद्ध सच्चे संत हैं, जरूर अंतर्यामी होंगे। वह उनके पैरों से गिरकर बोली, “भगवन्! मेरा बच्चा कहां है, यह बताइए। उसे कोई हिंसक पशु न खा पाए, ऐसा आशीर्वाद दीजिए।”
बुद्ध ने कहा, “इस नगर के अनेक बच्चों को तुमने खा लिया है। कितनी ही इकलौती संतानों को भी तुमने नहीं बख्शा है। क्या तुमने कभी सोचा कि अब उनके माता-पिता कैसे जिंदा रह रहे होंगे?”
बुद्ध के वचन सुनकर वह पश्चाताप की अग्नि में जलने लगी। उसने संकल्प किया कि अब वह हिंसा नहीं करेगी। भगवान बुद्ध ने उसे समझाया कि वास्तविक सुख दूसरों को दुख देने या दूसरों का रक्त बहाने में नहीं अपितु उन्हें सुख देने में है। उन्होंने उसका बच्चा उसे वापस कर दिया।