Inspirational Context: सद्गुरु कबीर जी से जानें, रोज सत्संग सुनने की क्या है जरूरत ?
punjabkesari.in Monday, Oct 09, 2023 - 09:46 AM (IST)

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Inspirational Context: एक युवक सद्गुरु कबीर जी के पास आया और आकर कहने लगा, “गुरु जी ! मैंने अपनी शिक्षा पूरी कर ली है और अब मैं अपना अच्छा-बुरा समझता हूं। फिर भी मेरे माता-पिता मुझे निरंतर सत्संग सुनने की सलाह देते रहते हैं। आखिर, मुझे रोज सत्संग सुनने की क्या जरूरत है?”
कबीर जी ने युवक का प्रश्न सुना लेकिन प्रश्न का उत्तर न देते हुए एक हथौड़ी उठाई और पास ही जमीन पर गढ़े एक खूंटे पर जोर से मार दी। युवक उत्तर पाने का थोड़ी देर इंतजार करता रहा लेकिन उत्तर न मिलने पर अनमने भाव से वहां से चला गया।
अगले दिन वह फिर सद्गुरु के पास आया और बोला, “मैंने आपसे कल एक प्रश्न पूछा था पर आपने कोई उत्तर नहीं दिया। क्या आज आप मेरे सवाल का उत्तर देंगे।”
सद्गुरु कबीर जी ने फिर उसकी बात सुनी लेकिन फिर से जवाब नहीं दिया बल्कि फिर खूंटे पर हथौड़ी मार दी।
युवक ने सोचा कि संत पुरुष हैं शायद आज भी मौन में हैं। वह तीसरे दिन फिर आया और अपने प्रश्न को दोहराने लगा।
कबीर जी ने जवाब देने की बजाय फिर से खूंटे पर हथौड़ी चला दी।
अब युवक परेशान होकर बोला, “आखिर आप मेरे प्रश्न का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं ? मैं तीन दिन से आपसे एक ही प्रश्न पूछ रहा हूं।”
कबीर जी ने उसे मुस्कराते हुए कहा, “मैं तो तुम्हें रोज तुम्हारे प्रश्न का जवाब दे रहा हूं। देख नहीं रहे कि मैं रोज इस खूंटे पर हथौड़ी क्यों मार रहा हूं। युवक कुछ समझा नहीं। उसने इस बात का अर्थ पूछा।”
कबीर जी ने कहा, “मैं इस खूंटे पर हर दिन हथौड़ी मारकर जमीन पर इसकी पकड़ को मजबूत कर रहा हूं। यदि मैं ऐसा नहीं करूंगा तो इससे बंधे पशुओं की खींचतान से या किसी की ठोकर लगने से यह खूंटा निकल जाएगा।”
यही काम हमारे जीवन में सत्संग हमारे लिए करता है। वह हमारे मन रूपी खूंटे पर निरंतर प्रहार करता रहता है ताकि हमारी सद्भावनाएं दृढ़ होती रहें। इसलिए सत्संग सुनना हमारी दैनिक जीवनचर्या का अनिवार्य अंग होना चाहिए।