जानिए कब है इंदिरा एकादशी कैसे करना चाहिए इस दिन विष्णु पूजन
punjabkesari.in Monday, Sep 19, 2022 - 06:03 PM (IST)

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हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का अधिक महत्व है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष हर मास के शुक्ल व कृष्ण पक्ष में एकादशी का व्रत पड़ता है। बात करें चल रहे मास की तो आश्विन मास चल रहा है, जिसके कृष्ण पक्ष की एकादशी आने वाली है। बता दें इस एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इससे जुड़ी मान्यताओं के अनुसार एक मात्र ऐसी एकादशी मनी जाती है, जो पितृ पक्ष में पड़ती है। इस दिन विष्णु जी की पूजा-अर्चना करने से न केवल भगवान विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है बल्कि पितरों को मुक्ति भी मिलती है। अतः इस एकादशी को अन्य एकादशी तिथियों अधिक पावन माना गया है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार इस एकादशी के दिन पूरे विधि वत रूप से पूजा करनी चाहिए, जिससे पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त हो सके। ऐसा कहा जाता है किसी पाप कर्म के चलते अगर पितृ को नरक की यातनाएं भुगतनी पड़ रही हो तो इस व्रत के प्रभाव से पितर को मोक्ष की प्राप्तिा होती है। तो वहीं हिंदू धर्म के ग्रंथों व शास्त्रों में श्री हरि विष्णु को जीवों को मुक्ति दिलाने वाले देव माना गया है। तो आइए जानते हैं कब इस बार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकाकदशी-
एकादशी तिथि का आरंभ 20 सितंबर को रात 09 बजकर 26 मिनट पर होगा। और इसका समापन 21 सितंबर को रात 11 बजकर 34 मिनट पर होगा। तो ऐसे में उदयातिथि के हिसाब से इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर, दिन बुधवार को रखा जाएगा। वहीं इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 08 बजकर 11 मिनट से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा इंदिरा एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 22 सितंबर को किया जाएगा। तो ऐसे में व्रत पारण का शुभ समय सुबह 06 बजकर 09 मिनट से 08 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि आप किसी वजह से पितृ पक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण व पिंडदान न कर पाए हों, तो इंदिरा एकादशी का व्रत व पूजन जरूर करें, क्योंकि इंदिरा एकादशी का व्रत पूर्वजों को श्राद्ध के समान फल देता है तथा इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए इस एकादशी को पितरों के लिए काफी खास माना गया है। साथ ही साथ इंदिरा एकादशी का व्रत श्रद्धा पूर्वक करने से मनुष्य स्वयं भी जन्म और मरण के चक्र से मुक्ति पाता है। और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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पूजन विधि-
एकादशी तिथि के दिन जल्दी उठकर स्नानादि करके निवृत्त हो जाएं।
इसके बाद पूजन स्थल पर गंगाजल छिड़ककर उस स्थान को पवित्र करें।
फिर एक चौकी लें, उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
बता दें कि इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप की पूजा होती है।
यदि आपके घर में शालिग्राम हैं, तो पूजा के स्थान पर स्थापित करें या फिर भगवान विष्णु की तस्वीर को ही स्थापित कर लें।
इसके बाद उनके समक्ष दीपक जलाकर उनके मस्तक पर चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं।
भगवान विष्णु को पीले फूलों की माला अर्पित करें। साथ में तुलसी का पत्ता भी चढ़ाएं।
भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें, इसके बाद इंदिरा एकादशी व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
आप इस दिन विष्णु चालीसा, विष्णु स्तुति और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं।
इसके बाद व्रती व्रत का संकल्प लेकर नियमानुसार व्रत करें।