मध्यप्रदेश: इस गणेश मंदिर में हिंदू-मुस्लिम मिलकर करते हैं बप्पा की पूजा

punjabkesari.in Tuesday, Sep 10, 2019 - 11:47 AM (IST)

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12 सितबंर को यानि अनंत चतुर्दशी को गणेश उत्सव का आख़िरी दिन है। इस दिन लोग अपने घर में स्थापित की गणपति जी को प्रतिमा को पावन नदियों में विसर्जित करने के लिए पूरे धूम-धाम से जाते हैं और विसर्जन करने के बाद उनसे अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना करते हैं। इस दौरान हर तरफ़ हिंदू लोगों का हुजूम देखने को मिलता है। मगर इस खास मौकर पर हम आपको गणेश जी व उनके हिंदू भक्तों की नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय के भक्तो के बारे में बताने जा रहे हैं। जी हां, आपको शायद सुनकर हैरानी होगी कि जहां एक तरफ़ देश के बीच हिंदू मुस्लिमों को लेकर इतना मतभेद देखने को मिलता है तो वहीं यहां गणेश जी के मुस्लिम भक्त?
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हम जानते हैं आप में से बहुत से लोग इसे केवल अफ़वाह के तर पर देखेंगे इसीलिए हम आपके लिए उस मंदिर से जुड़ी हर जानकारी लेकर आएं हैं। तो चलिए आपकी उत्सुक्ता को और न बढ़ाते हुए बताते हैं इस मंदिर के बारे में-

मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में नित्य चिंताहरण गणेश भगवान का भव्य मंदिर है, जहां भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। प्रत्येक गणेशोत्सव के दौरान यहां हर साल साम्प्रदायिक सौहार्द का भाव देखने को मिलता है, जहां हर साल गणेशोत्सव के दौरान 1 दिन मुस्लिम समाज की और से भगवान गणेश की आरती की जाती है और उन्हें भोग भी लगाया जाता है। साथ ही मुस्लिम समाज के लोग मंदिर में स्थित श्रद्धालुओं में प्रसाद बांटते हैं। बता दें नित्य चिंताहरण गणेश मंदिर में चिठ्ठी लिखकर गणेशजी से मन्नत मांगी जाती है। मान्यता है कि चिट्ठी लिखकर गणपति से मन्नत मांगने पर वह इन्हें पूरा करते हैं और अपने भक्तों के सभी विघ्न हर लेते हैं।
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बता दें रतलाम शहर का प्राचीन नित्य चिंताहरण गणेश मंदिर जितना पुराना है उतनी इनकी महिमा भी निराली है। आज भव्य भवन के रूप में दिखने वाले गणेश मंदिर की जगह पहले दीवार से लगे पत्थर के गणेश प्रतिमा ही दिखाई देती थी, वही इस मंदिर में मन्नत के लिए चिट्ठी लिखने की भी परंपरा है। रतलाम शहर का नित्य चिंताहरण गणेश मंदिर भले ही आज नए आकर्षक रंगों में दिखाई देता है, लेकिन यहां की प्राचीन गणेश प्रतिमा का इतिहास सदियों पुराना है।
 


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Jyoti

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