हकीकत या फसाना: हिंदू घर में तुलसी का पौधा रखने के पीछे छुपे हैं गहरे राज़

punjabkesari.in Tuesday, Apr 18, 2023 - 11:17 AM (IST)

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Tulsi in Hinduism: मनुष्य के सभी तरह के पापों का नाश करती है तुलसी। जिसे सुन कर मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। सभी लोगों के रक्षक, विश्वात्मा, विश्व पालक भगवान पुरुषोत्तम ही तुलसी वृक्ष के रूप में प्रतिष्ठित हैं। दर्शन, स्पर्श, नाम-संकीर्तन, धारण तथा प्रदान करने से भी तुलसी मनुष्यों के सभी पापों का सर्वदा नाश करती है। प्रात: उठकर स्नान करके जो व्यक्ति तुलसी वृक्ष का दर्शन करता है, उसे सभी तीर्थों के संसर्ग का फल नि:संदेह प्राप्त हो जाता है। इसे घर में लगाने से वास्तु दोष और निगेटिव ऊर्जा समाप्त होती है।

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Is tulsi a holy plant: श्री पुरुषोत्तम क्षेत्र में भगवान गदाधर के दर्शन करने से जो पुण्य प्राप्त होता है वही तुलसीवृक्ष के दर्शन करने से प्राप्त होता है। वह दिन शुभ कहा गया है जिस दिन तुलसी वृक्ष का दर्शन होता है और तुलसी वृक्ष का दर्शन करने वाले व्यक्ति को कहीं से भी विपत्ति नहीं आती। जन्म जन्मांतर का किया अत्यंत निन्दित पाप भी तुलसी वृक्ष के दर्शन मात्र से नष्ट हो जाता है।

What are the benefits of tulsi leaves: जो व्यक्ति तुलसी पत्र का स्पर्श कर लेता है वह सभी पापों से मुक्त होकर उसी क्षण शुद्ध हो जाता है तथा अंत में देवों के लिए भी दुर्लभ विष्णुपद को प्राप्त करता है। तुलसी का स्पर्श करना ही मुक्ति है और वही परम व्रत है।

जिस व्यक्ति ने तुलसी वृक्ष की प्रदक्षिणा कर ली उसने साक्षात भगवान विष्णु की प्रदक्षिणा कर ली। इसमें कोई संदेह नहीं है, जो मानव भक्तिपूर्वक श्रेष्ठ तुलसी को प्रणाम करता है, वह भगवान विष्णु के सायुज्य को प्राप्त करता है और पुन: पृथ्वी पर उसका जन्म नहीं होता।
जहां तुलसी कानन है, वहां लक्ष्मी और सरस्वती के साथ साक्षात भगवान जनार्दन प्रसन्नतापूर्वक विराजमान रहते हैं। जहां सर्वदेवमय जगन्नाथ भगवान विष्णु रहते हैं। वहां लक्ष्मी और सरस्वती के साथ साक्षात भगवान जनार्दन प्रसन्नतापूर्वक विराजमान रहते हैं। इसलिए वह उत्तम स्थान देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। उस श्रेष्ठ स्थान में जो जाता है वह भगवान विष्णु के वैकुंठ धाम को प्राप्त करता है जो व्यक्ति स्नान करके उस पापनाशक क्षेत्र का मार्जन करता है वह भी पाप से मुक्त होकर स्वर्गलोक में जाता है।

जो व्यक्ति तुलसी वृक्ष के मूल की मिट्टी से ललाट, कंठ, दोनों कान, दोनों हाथ, मस्तक, पीठ, दोनों बगल तथा नाभि पर उत्तम तिलक लगाता है, उस पुण्यात्मा को श्रेष्ठ वैष्णव समझना चाहिए। जो व्यक्ति तुलसी मंजरी से भगवान विष्णु का पूजन करता है उसे भी सभी पापों से रहित श्रेष्ठ वैष्णव कहा गया है।

जो व्यक्ति वैशाख, कार्तिक तथा माघ मास में प्रात: काल स्नान कर परमात्मा सुरेश्वर भगवान विष्णु को विधि-विधान से तुलसी पत्र अर्पित करता है उसका पुण्यफल अनंत कहा गया है।

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दस हजार गाएं दान करने तथा सैंकड़ों वाजपेय यज्ञ करने से जो फल प्राप्त होता है वही फल कार्तिक मास में तुलसी के पत्तों तथा तुलसी मंजरी से भगवान विष्णु का पूजन करने से प्राप्त होता है, जो तुलसी कानन में भगवान विष्णु की पूजा करता है वह महाक्षेत्र में की गई पूजा का फल प्राप्त करता है।

बुद्धिमान व्यक्ति को तुलसी पत्र रहित कोई पुण्य कार्य नहीं करना चाहिए। यदि कोई करता है तो उस कर्म का सम्पूर्ण फल उसे नहीं प्राप्त होता। तुलसी पत्र से रहित संध्या वंदन कालातीत संध्या की तरह निष्फल हो जाता है। तुलसी पूजा के मध्य में तृणों अथवा वल्कलवृंदों से भी भगवान विष्णु के मंदिर का निर्माण कर जो उसमें भगवान विष्णु को स्थापित करता है तथा उनकी भक्ति में निरंतर लगा रहता है, तुलसी वृक्ष को भगवान विष्णु के रूप में समझकर तीन प्रकार से उन्हें प्रणाम करता है वह भगवान विष्णु के परम आशीर्वाद को प्राप्त करता है।

जो व्यक्ति बुद्धिपूर्वक तीन बार अथवा सात बार प्रदक्षिणा करके संसार से उद्धार करने वाली भगवती तुलसी को इस मंत्र से भक्तिपूर्वक प्रणाम करता है वह घोर संकट से मुक्त हो जाता है। जिस तरह साक्षात गंगा सभी नदियों में श्रेष्ठ हैं, उसी तरह लोकों को पवित्र करने के लिए वृक्षों में साक्षात तुलसी स्वरूपिणी श्रेष्ठ हैं।

ब्रह्मा विष्णु आदि प्रमुख देवताओं के द्वारा पूर्व में पूजित हुई हैं। आप विश्व को पवित्र करने के हेतु पृथ्वी पर उत्पन्न हुई हैं इस प्रकार जो व्यक्ति तुलसी को प्रतिदिन प्रणाम करता है, वह जहां कहीं भी स्थित है भगवती तुलसी उसकी सभी कामनाओं को पूर्ण करती हैं।

भगवती तुलसी सभी देवताओं की परम प्रसन्नता को बढ़ाने वाली है। जहां तुलसी वन होता है वहां देवताओं का वास होता है और पितृगण परम प्रीतिपूर्वक तुलसीवन में निवास करते हैं।

Tulsi Plant in Home: पितृ देवार्चन आदि कार्यों में तुलसीपत्र अवश्य प्रदान करना चाहिए। इन कार्यों में तुलसीपत्र न देने पर मनुष्य उस कर्म का सम्यक फल प्राप्त नहीं करते। तुलसी को त्रिलोकीनाथ भगवान विष्णु, सभी देवी-देवताओं और विशेष रूप से पितृगणों के लिए परम प्रसन्नता देने वाली समझना चाहिए। इसलिए देव तथा पितृकार्यों में तुलसी पत्र अवश्य समर्पित करना चाहिए। जहां तुलसी वृक्ष स्थित है वहां सभी तीर्थों के साथ साक्षात भगवती गंगा सदा निवास करती हैं।

Rules For Planting A Tulsi Plant At Home: यदि अत्यंत भाग्यवश आंवले का वृक्ष भी वहां पर स्थित हो तो वह स्थान बहुत अधिक पुण्य प्रदान करने वाला समझना चाहिए। जहां इन दोनों के निकट बिल्ववृक्ष भी हो तो वह स्थान साक्षात वाराणसी के समान महातीर्थ स्वरूप है। उस स्थान पर भगवान शंकर, देवी भगवती तथा भगवान विष्णु का भक्ति भाव से किया गया पूजन महापातकों का नाश करने वाला तथा बहुपुण्यदायक जानना चाहिए। जो व्यक्ति वहां एक बिल्वपत्र भी भगवान शंकर को अर्पण कर देता है वह साक्षात भगवान शिव के दिव्य लोक को प्राप्त करता है।  

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Content Writer

Niyati Bhandari

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