क्या भाग्यलक्ष्मी के मंदिर पर रखा गया था इस शहर का नाम?

punjabkesari.in Saturday, Dec 05, 2020 - 06:47 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जाने धर्म के साथ
अगर सनातन धर्म की बात करें तो इसके अनुसार हमारे देश का हर हिस्सा इससे जुड़ा हुआ है। कहने का भाव है लगभग भारत देश का हर कोना किसी न किसी प्रकार से प्राचीन इतिहास के साथ-साथ सनातन धर्म से संबंध रखता है। फिर चाहे देश का कोई बड़ा हिस्सा हो या छोटा। अब तक आप लोग ये तो समझ ही गए होंगे कि हम आपको बताने वाले हैं कि किसी ऐसी ही जगह के बारे में बताने वाले हैं जिसका संबंध कहीं न कहीं सनातन धर्म के किसी देवी-देवता से जुड़ा हुआ है। तो आपको बता दें कि आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं। दरअसल तेलंगाना कि राजधानी हैदराबाद नामक शहर से जुड़ा एक ऐसा ही रहस्य जुड़ा है। कहा जाता है हैदराबाद को भारत का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला शहर कहा जाता है। तो वहीं इसके प्राचीन नाम की बात करें तो इसे भाग्यनगर के नाम से जाना जाता है। मगर इस शहर को क्यों इस नाम से जाना जाता है, इस बारे में जानने की इच्छा हर कोई रखता है। तो अगर आप भी जानना चाहते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी मान्यता जिसके अनुसार हैदराबाद शहर को प्राचीन समय में भाग्यनगर नाम से भाग्यलक्ष्मी के एक मंदिर के कारण जाना  जाता था। 
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बताया जाता है कि हैदराबाद शहर से कई तरह के रहस्य व इतिहास जुड़ा हुआ है, जिनमें से 3 के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं- 
सबसे पहले मान्यता या किंवदंतियों की बात करें तो जहां ये नगर बसाया गया था, वहां प्राचीन समय में बहुच बड़ा हराभरा जंगल और उद्दयान था, उस समय वहां कोई अन्य नगर भी नहीं था। जहां बाद  में कुतुबुशाह ने नरगर बसाया। नगर बसाने के बाद अपनी प्रेमिका भागमति के नाम पर इस नगर का नाम भागनगर रख दिया। ऐसी मान्यताएं हैं शादी के बाद भागमती ने इस्लाम कुबूल कर लिया था, जिसके उपरांत उसका नया नाम बेगम हैदरमहल रखा गया। जिसके बाद से इस शहर का नाम भागनदर से बदलकर हैदराबाद रख दिया। 

दूसरी मान्यता के बारे में बात करें तो यहां पहले एक उजाड़ नगर हुआ करता था, जिसका नाम पाटशिला हुआ था। हालांकि प्राचीन समय में पहले यह एक समृद्ध जगह होती थी। विजयेन्द्र कुमार माथुर की किताब ऐतिहासिक स्थानावली के अनुसार सिंध (पाकिस्तान) में भी एक हैदराबाद नामक शहर है जहां पर पाटशिला नगर था। चीनी यात्री युवानच्वांग ने अपने भारत भ्रमण (630-645 ई.) के दौरान इसका उल्लेख किया था। हालांकि वाटर्स तथा कनिंघम भी यही मानते हैं। शायद इसी नगर को यूनानी लेखकों ने भी यही माना होगा।
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अब बताते हैं इस शहर से जुड़ी आखिरी मान्यता के बारे में, जिसका संबंध सनातन धर्म की देवी भाग्यलक्ष्मी से बताया जाता है। दरअसल कहा जाता है कि चारमीनारा स्थान पर प्राचीन समय में देवी लक्ष्मी आईं थी। मगर संतरियों ने उन्हें वहीं रोक दिया और कहा कि वे राजा की आज्ञा लेने के बाद ही उन्हें प्रवेश करने देंगे। जिसके बाद देवी लक्ष्मी वहीं खड़ी हो गई, और उसी स्थान पर अपना घर बना लिया, जहां वहां एक मंदिर बन गया, ऐसा कहा जाता है कि भाग्यलक्ष्मी के इस मंदिर के नाम के कारण ही इस शहर को भाग्यनगर कहा जाने लगा। हालांकि कुछ लोगों को कहना है कि इस बात का कोई खास सबूत नहीं मिलता है।  

इसके अलावा हैदराबाद में कईं प्राचीन हिंदू मंदिरों के होने का जिक्र मिलता है, तो वहीं इन मंदिर से जुड़े लिखे शिलालेख भी मिलते हैं। परंतु भाग्यलक्ष्मी मंदिर से जुड़ा आज तक कुछ भी ऐसा किसी के हाथ नहीं लगा है। हालांकि पिछले 500 वर्षों से इस मंदिर में लोग विधि वत पूदा करते हैं, तो वहीं ये भी कहा जाता है बहुत वर्ष पहले यहां 2 पुराने पत्थर हुआ करते थे जो अब यहां नहीं है। 
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Jyoti

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