Mahashivratri: महाशिवरात्रि पर त्रिशूल घर में स्थापित करें या मंदिर चढ़ाएं, दूर करें अपनी Confusion
punjabkesari.in Saturday, Feb 22, 2025 - 07:22 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर त्रिशूल घर में स्थापित करना एक शुभ कार्य हो सकता है, बशर्ते आप इसे सही दिशा में और सही तरीके से रखें। मंदिर में चढ़ाने से अधिक धार्मिक आस्था और समर्पण का एहसास होता है और घर में रखने से यह सुरक्षा, शांति और ऊर्जा का प्रवाह लाता है। आपके घर और आपकी आस्था के हिसाब से यह निर्णय लिया जा सकता है कि त्रिशूल घर में रखा जाए या मंदिर में चढ़ाया जाए। वास्तु शास्त्र में त्रिशूल को एक शक्तिशाली और पवित्र प्रतीक कहा गया है। त्रिशूल को भगवान शिव के तीन गुणों सिद्धि, शक्ति और साधना का प्रतीक माना जाता है। इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और यह घर को वास्तु दोषों से बचाने का काम करता है। इसे शुभ और सकारात्मक प्रभावों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
त्रिशूल घर में रखने के लाभ:
शक्ति और सुरक्षा:
त्रिशूल घर में रखने से घर की सुरक्षा और शक्ति बढ़ती है। इसे घर की मुख्य द्वार पर लगाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता। यह घर के सभी निवासियों को मानसिक और शारीरिक सुरक्षा प्रदान करता है।
नकारात्मकता का नाश:
त्रिशूल को नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और घर में शांति बनाए रखने के लिए एक शक्तिशाली उपाय माना जाता है। यह घर के वातावरण में सकारात्मक और ऊर्जावान शक्ति का प्रवाह करता है, जिससे घर के लोग खुशहाल रहते हैं।
धार्मिक उन्नति और आशीर्वाद:
त्रिशूल घर में रखने से शिवजी की कृपा मिलती है। यह धार्मिक उन्नति का कारण बनता है और घर के लोगों को आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर हैं या जीवन में सफलता और शांति की तलाश कर रहे हैं।
साधना और ध्यान की दिशा:
त्रिशूल को घर में रखने से व्यक्ति की साधना और ध्यान में उन्नति होती है। यह साधक को आत्मज्ञान की प्राप्ति में मदद करता है और मानसिक शांति की ओर मार्गदर्शन करता है।
त्रिशूल को किस दिशा में रखें:
उत्तर-पूर्व दिशा:
वास्तु शास्त्र के अनुसार, त्रिशूल को घर में उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है। यह दिशा भगवान शिव की दिशा मानी जाती है, और यहां त्रिशूल रखने से सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। यह घर के वातावरण में शांति और समृद्धि लाता है।
दक्षिण दिशा में न रखें:
त्रिशूल को दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह दिशा नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। दक्षिण दिशा में त्रिशूल रखने से घर में अशांति और झगड़े हो सकते हैं।
मुख्य द्वार पर:
त्रिशूल को घर के मुख्य द्वार पर भी रखा जा सकता है, लेकिन उसे उल्टा (उपर से नीचे की ओर) नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह अपशकुन का संकेत हो सकता है। यदि त्रिशूल मुख्य द्वार पर रखा है, तो यह घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने का कार्य करता है।
दीवार पर लटकाना:
त्रिशूल को दीवार पर लटकाना एक शुभ संकेत माना जाता है लेकिन इसे दीवार पर इस तरह से लटकाएं कि उसकी नोक सामने की ओर न हो, बल्कि त्रिशूल का शाफ्ट (लंबी छड़ी) दीवार से सटा हो। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बने रहता है।
महाशिवरात्रि पर त्रिशूल घर में स्थापित करना चाहिए या मंदिर में चढ़ाना चाहिए?
महाशिवरात्रि एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूरण पर्व है, जब शिवजी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन विशेष रूप से त्रिशूल का पूजन और स्थापना का महत्व है, लेकिन यह पूरी तरह से व्यक्ति की आस्था और उद्देश्य पर निर्भर करता है।
मंदिर में त्रिशूल चढ़ाना:
यदि आप महाशिवरात्रि पर त्रिशूल चढ़ाना चाहते हैं तो इसे शिव मंदिर में चढ़ाना सबसे उपयुक्त रहेगा। शिव मंदिर में त्रिशूल चढ़ाने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह आपकी आस्था और समर्पण को दर्शाता है और साथ ही आपको शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
घर में त्रिशूल स्थापित करना:
यदि आपके पास घर में पूजा स्थल है और आप इसे अपने घर में स्थापित करना चाहते हैं, तो महाशिवरात्रि का दिन इसे घर में स्थापित करने के लिए शुभ है। त्रिशूल को घर में स्थापित करने से घर के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह विशेष रूप से उन घरों के लिए लाभकारी है जहां किसी प्रकार की वास्तु दोष या मानसिक अशांति महसूस होती हो।
वास्तु के अनुसार त्रिशूल मंदिर या घर में रखना:
घर में त्रिशूल रखने से यदि घर में शांति और खुशहाली बनी रहे तो यह घर के सदस्यों के लिए अच्छा होगा लेकिन अगर घर में स्थान की कमी हो या वास्तु दोष हो, तो यह त्रिशूल घर में स्थापित करना अशुभ भी हो सकता है। इस स्थिति में यह बेहतर रहेगा कि आप इसे शिव मंदिर में चढ़ा दें।