Vastu Tips for Home Temple: रोज मंदिर नहीं जा सकते तो घर में ऐसे बनाएं पूजा स्थान

punjabkesari.in Thursday, Oct 27, 2022 - 09:53 AM (IST)

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Vastu Tips for Home Temple: आजकल दौड़भाग की जिंदगी में अक्सर दिनचर्या बहुत व्यस्त होने से आप रोज मंदिर नहीं जा सकते। इसलिए घर में बने छोटे या बड़े पूजा स्थान पर ही अपने-अपने ईष्ट का स्मरण करते हैं। घर चाहे छोटा हो या बड़ा, अपना हो या किराए का, हर घर में मंदिर जरूर होता है। कई बार पूजा-पाठ के लिए स्थान बनवाते समय जाने-अनजाने में लोगों से छोटी-मोटी वास्तु संबंधी गलतियां हो जाती हैं। इनकी वजह से पूजा का फल व्यक्ति को प्राप्त नहीं हो पाता।

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PunjabKesari How to build a place of worship at home

सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने के लिए घर में मंदिर का उचित स्थान पर होना भी बहुत जरूरी है।

पूजा घर हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में ही होना चाहिए। मंदिर का पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना अशुभ फलों का कारण बन सकता है। घर में मंदिर या पूजाघर के ऊपर या आस-पास शौचालय नहीं होना चाहिए। मंदिर को रसोईघर में बनाना भी वास्तु के हिसाब से उचित नहीं माना जाता। भगवान की मूर्तियों को एक-दूसरे से कम से कम 1 इंच की दूरी पर रखें। एक ही घर में कई मंदिर न बनाएं। ऐसा करने से मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

सीढ़ियों के नीचे या फिर तहखाने में भूलकर भी मंदिर न बनवाएं। ऐसा करने से पूजा-अर्चना का फल नहीं मिलता।

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घर में जहां मंदिर बना हो, उस ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए।

पूजा घर का द्वार टिन या लोहे की ग्रिल का नहीं होना चाहिए। पूजा घर शौचालय के ठीक ऊपर या नीचे न हो, पूजा घर शयन-कक्ष में न बनाएं।

घर में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य-प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो द्वारका के (गोमती) चक्र और दो शालिग्राम का पूजन करने से गृहस्वामी को अशान्ति प्राप्त होती है।

पूजा घर का रंग सफेद या हल्का क्रीम होना चाहिए। भगवान की तस्वीर या प्रतिमा आदि नैऋत्य कोण में न रखें। इससे बनते कार्यों में रुकावटें आती हैं। मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा उस देवता के प्रमुख दिन पर ही करें या जब चंद्र पूर्ण हो अर्थात 5,10,15 तिथि को ही प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करें।

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शयनकक्ष में पूजा स्थल नहीं होना चाहिए। अगर जगह की कमी के कारण मंदिर शयनकक्ष में बना हो तो मंदिर के चारों ओर पर्दे लगा दें। इसके अलावा शयनकक्ष के उत्तर पूर्व दिशा में पूजास्थल होना चाहिए।

ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य और कार्तिकेय, गणेश, दुर्गा की मूर्तियों का मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए कुबेर, भैरव का मुंह दक्षिण की तरफ हो। हनुमान जी का मुंह दक्षिण या नैऋत्य की तरफ हो।

रसोई घर, शौचालय, पूजा घर एक-दूसरे के पास न बनाएं। घर में सीढिय़ों के नीचे पूजा घर नहीं होना चाहिए।

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पूजन कक्ष में मृतात्माओं के चित्र न लगाएं। किसी भी देवता की टूटी-फूटी प्रतिमा या तस्वीर व सौंदर्य प्रसाधन का सामान, झाड़ू व अनावश्यक सामान भी मंदिर में न रखें।

भगवान जी का चेहरा कभी भी ढंकना नहीं चाहिए, यहां तक कि फूलमाला से भी चेहरा नहीं ढंकना चाहिए।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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