यहां मिलती है हमेशा जवान रखने वाली संजीवनी बूटी!

punjabkesari.in Thursday, Feb 13, 2020 - 06:43 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
क्या कोई पौधा शरीर का काया-कल्प कर सकता है अर्थात् बुर्जुग जवान हो जाए और बुढ़ापा आए ही न? इससे पहले आप अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगे। आइए बताते हैं इस एक वाक्य के पीछे का प्रसंग। अनादिकाल मे ऋषि सोमरस का सेवन कर किया करते थे परंतु क्या आप जानते हैं कि वास्तविक जीवन में भी ऐसा हो सकता है। जी हां, रीवा में एक ऐसे ही पौधे सोमबल्ली को रीवा वन विभाग द्वारा खोज कर संरक्षित किया जा रहा है जिसके बारे में कहा जाता है। इसके रस के सेवन से शरीर सुडोल हो जाता है और जल्दी बुढ़ापा नही आता।
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ये युगो-युगो से आकर्षक का केन्द्र केवटी जलप्रताप केवटी की इसी घाटी में पाया जाता है। सोमबल्ली अनादिकाल में देवी-देवताओं एवं ऋषि मुनि अपने को चिरायु बनाने के लिए सोमबल्ली का सेवन किया करते थे। हज़ारों वर्ष पुराने इस विलुप्त पौधे के बारे में अब भले ही कहीं उल्लेख नहीं मिलता लेकिन प्राचीन ग्रंथों एवं वेदों में इसके महत्व एवं उपयोगिता का व्यापक उल्लेख है। प्राचीन ग्रंथों व वेद पुराणों में सोमबल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है। देवी-देवता व ऋषिमुनि इस पौधे के रस का सेवन अपने को चिरायु बनाने एवं बल सामर्थ्य एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया करते थे।

इस पौधे की खासियत है कि इस में पत्ते नहीं होते् यह पौधा सिर्फ डंठल के आकार में लताओं के समान होता है। हरे रंग के डंठल वाले इस पौधे को नर्सरी में बेहद सुरक्षित ढंग से रखा गया है। सैकड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी से विलुप्त हो चुके सोमबल्ली नामक इस दुर्लभ पौधे को लेकर वन विभाग का दावा है कि यह पौधा पूरी दुनिया में अब कहीं नहीं हैं। केवटी जलप्रपात के बीच मिले इस पौधे को वन विभाग की नर्सरी में रोपित कर उस पर अनुसंधान किया जा रहा है इसका उपयोग कैंसर के इलाज में भी किया जाता है इसके पौधे तैयार कर बाहर भी भेजे जा रहे है।
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पंजाब केसरी के लिए रीवा से सादाब सिद्दीकी की रिपोर्ट के अनुसार प्राचीन ग्रंथों एवं वेदों में इसके महत्व एवं उपयोगिता का व्यापक उल्लेख है। प्राचीन ग्रन्थों व वेद पुराणों में सोमबल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है। देवी -देवता व ऋषिमुनि इस पौधे के रस का सेवन अपने को चिरायु बनाने एवं बल सामथ्र्य एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिये किया करते थे।

 

 


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Jyoti

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