हरिद्वार में स्थित है भीमगोड़ा कुंड, भीम ने अपने घुटने से निकाला था यहां पानी

punjabkesari.in Saturday, Mar 06, 2021 - 03:38 PM (IST)

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इस बार यानि 2021 में उत्तराखंड के शहर हरिवद्वार में हर साल लगने वाला प्रसिद्ध कुंभ का मेला लगना वाला है। गंगा के तट पर बसा यह नगर खूबसूरत और प्राकृतिक छटा से पूरी तरह परिपूर्ण है। इस प्राचीन नगरी को हिंदुओं के सात पावन स्थलों में से एक माना जाता है। बताया जाता है कि 3139 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अपने स्रोत गोमुख गंगोत्री हिमनद से 253 कि.मी की यात्रा करके गंगा नदी हरिद्वार में मैदानी क्षेत्र में प्रथम प्रवेश करती है। कहा जाता है यही कारण है कि हरिद्वार को 'गंगाद्वार' के नाम से भी जाना जाता है। बता दें गंगाद्वार का अर्थ है उस स्थान से है जहां गंगाजी मैदानों में प्रवेश करती हैं।

लगभग लोग जानते होंगे कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हरिद्वार वह स्थान जहां समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें गिरी थीं, जिसे आज के समय में हर की पौड़ी पर ब्रह्म कुण्ड माना जाता है। बता दें 'हर की पौड़ी' हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाता है और पूरे भारत से भक्तों और तीर्थयात्रियों के जत्थे त्योहारों या पवित्र दिवसों के अवसर पर स्नान करने के लिए यहां आते हैं। धार्मिक मान्यता है यहां स्नान करना मोक्ष पाने के समान है। 

आज हम आपको हरिद्वार में स्थित बहुक ही खूबसूरत भीमगोड़ा मंदिर के बारे में बताने जा रहे है। दरअसल हरि की पौड़ी के समीप भीमगोड़ा हरिद्वार का मुख्य पर्यटक आर्कषण माना जाता है। यहां कुंड के पास भीमगोड़ा कुंड मंदिर स्थापित है, लोगों के द्वारा बताया जाता है यह मंदिर अधिक प्राचीन है। महाभारत काल में इसी स्थल पर पांडवों ने एक रुद्राक्ष ध्यान किया था, जिस रुद्रक्ष में से 11 शिवलिंग निकले थे। 

एक अन्य मान्यता के अनुसार जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे जब यहीं पर भीम ने श्रीकृष्‍ण के कहने पर अपना घुटना भूमि पर मार दिया था जिससे यह कुंड निर्मित हुआ था।  तो वहीं ये भी किंवदंती है कि द्रोपदी को प्यास लगी थी, तो यही पर भीम ने अपना घुटना मारकर पानी निकाला था।


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Content Writer

Jyoti

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