कुंभ मेले की तरह यहां भी लगता है विशाल मेला, जानें कहां ये जगहें

punjabkesari.in Thursday, Feb 18, 2021 - 03:15 PM (IST)

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समस्त माघ मास पावन नदियों में स्नान आदि के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। खास तौर पर इस मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि अधिक महत्व रखती है। तो वहीं इस माह में आरंभ होने वाले कुंभ के कारण इसकी महत्वता और अधिक बढ़ जाती है। कहा जाता है माघ के महीने में जो व्यक्ति स्नान, दान, श्राद्ध, तर्पण आदि जैसे कार्य करता है उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। अधिकतर रूप से इन सभी का महत्व कुंभ मेले में ज्यादा माना जाता है। बता दें कुंभ मेले को संपूर्ण देश की दृष्टि में बहुत बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस मेले में न केवल देश के लोग बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं तथा धार्मिक रूप से होने वाले स्नान व दान आदि जैसे कार्यो में श्रद्धापूर्वक शामिल होते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें प्रत्येक 12 वर्ष के अंतराल के बाद कुंभ मेला प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन तथा नासिक में मनाया जाता है। इस वर्ष यानि 2021 की बात करें तो इस बार कुंभ मेले का आयोजन हरिद्वार में होगा। लगभग लोग इस प्राचीन कुंभ मेले के बारे में जानते हैं बल्कि कहा जाता है कि लोग इस पावन व शुभ मेले का इंतज़ार करते हैं। मगर क्या आप जानते हैं इसके अलावा भी दो जगहें ऐसी हैं जहां पर कुंभ मेली की तरह मेला लगता है। तो आइए जानते हैं कौन सी हैं वो जगहें-

सोनकुंड मेला:
बताया जाता है कि कि सोनकुंड नामक यह मेला हर वर्ष माघ पूर्णिमा के अवसर पर छत्तीसगढ़ में आयोजित किया जाता है। कहा जाता है कि सोनकुंड में लगभग पिछले 80 वर्षों से माघी पूर्णिमा पर्व पर साधु संतों का आगमन होता आ रहा है। लोक मान्यता है कि अनेक महापुरुषों ने यहां तपस्या की थी। सोनकुंड को सोनमुडा और सोनबचरवार के नाम से भी जाना जाता है।

माना जाता है कि सोनकुंड एक धार्मिक पर्यटन स्थल है, जहां पर छत्तीसगढ़ के ग्रामवासियों और वनवासियों के लोग दर्शन करने आते हैं। हर वर्ष सोनकुंड आश्रम में 5 दिवसीय मेला आयोजित होता है जिसमें कई संत महात्मा शामिल होते हैं।

इसके अलावा आश्रम बेलगहना में भी संत समागम होता है। बेलगहना आश्रम से संबंधित 32 आश्रमों में प्रमुख माने जाने वाले सोनकुंड आश्रम में नर्मदा और सोनभद्र के प्राचीन मंदिर हैं। सोनकुंड में ज्यादातर लोग अनूपपुर, शहडोल, कोरबा और बिलासपुर, लोरमी आदि स्थान से पहुंचते हैं।

राजिम कुंभ:
छत्तीसगढ़ की जीवनदायिनी महानदी के तट पर राजिम नगरी स्थित है। कहा जाता है राजिम नगरी पर माघ पूर्णिमा के दिन लगने वाला मेला संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध है। कुंभ मेले की ही तरह इस मेले में भी छत्तीसगढ़ के लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। बताया जाता है माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक यानि पूरे 15 दिनों का इस मेले का आयोजन होता है। इसे राजिम कुंभ मेले के नाम से भी जाना जाता है

मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र संगम पर स्थित कुलेश्वर महादेव मंदिर है हालांकि वर्तमान समय में इस मेले को राजिम माघी पुन्नी मेला कहा जाता है। कुंभ की तरह राजिम कुंभ में भी एक दर्जन से ज्यादा अखाड़ों के अलावा शाही जुलूस, साधु-संतों का दरबार, झांकियां, नागा साधुओं और धर्मगुरुओं की उपस्थिति मेले के आयोजन को सार्थकता प्रदान करेगी। गौरतलब है कि राजिम कुंभ मेला 10 फरवरी से प्रारंभ हो गया है जो 11 मार्च तक चलने वाला है।


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Content Writer

Jyoti

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