Guru Pradosh: आज इस समय मंदिर जाने से बदलेगी परिवार की दशा और ग्रह दोष में होगा सुधार
punjabkesari.in Thursday, Jun 01, 2023 - 07:22 AM (IST)
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Guru Pradosh 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं और साधक पर शिव जी का आशीर्वाद बना रहता है। मान्यता है कि भगवान शिव के आशीर्वाद से साधक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं ज्येष्ठ मास का अंतिम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त व महत्व
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Guru Pradosh Vrat vidhi गुरु प्रदोष व्रत तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 01 जून को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट पर होगी और इसका समापन 02 जून को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट पर हो जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन शिव की उपासना प्रदोष काल में की जाती है। ऐसे में यह व्रत 01 जून 2023, गुरुवार के दिन रखा जाएगा। गुरुवार का दिन होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत का नाम से जाना जाएगा।
Guru Pradosh Vrat 2023 shubh muhurat गुरु प्रदोष व्रत 2023 शुभ मुहूर्त
पंचांग में बताया गया है कि 01 जून को भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल अर्थात शाम 07 बजकर 14 मिनट से रात्रि 09 बजकर 16 के बीच करने से विशेष लाभ मिलता है। साथ ही इस दिन शुभ वरीयान योग का निर्मण हो रहा है, जो शाम 07 बजे तक रहेगा और इस दिन स्वाती नक्षत्र बन रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक है। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों को धार्मिक कार्य के लिए बहुत शुभ बताया गया है।
Guru Pradosh Vrat Significance गुरु प्रदोष व्रत महत्व
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत रखने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और साधक की सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। इस विशेष दिन पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा का भी विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से दाम्पत्य जीवन में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में कष्टों का नाश होता है। इसके साथ प्रदोष व्रत रखने से कई प्रकार के ग्रह दोष से भी मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
Guru Pradosh Puja vidhi गुरु प्रदोष पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर प्रात:काल स्नान करें।
इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान का स्मरण कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें।
सायंकाल में पूजा के दौरान भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, फूल, धतूरा, गंगाजल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
अब प्रदोष की कथा पढ़ें और शिव जी की आरती करें।
पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान करांए।
अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके व्रत का समापन करें।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
9005804317