Guru Ashtavakra story: जब मिथिलापुरी के राजा जनक गिर पड़े अष्टावक्र जी के चरणों में...

punjabkesari.in Tuesday, Sep 05, 2023 - 09:01 AM (IST)

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Guru Ashtavakra story: मिथिलापुरी के राजा जनक हाथी पर सवार होकर कहीं जाने वाले थे। राज कर्मचारी उनकी यात्रा में व्यवधान न आ जाए इस आशंका से तमाम रास्ते से लोगों को हटाते जा रहे थे। घर से बाहर अपने कामों के लिए निकले नागरिकों को इससे असुविधा हो रही थी परन्तु वे भय के कारण कुछ बोल नहीं पा रहे थे।

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‘ऐ पंडित जी महाराज, आप इस पथ से एक तरफ खड़े हो जाएं, महाराजा की शोभायात्रा गुजरने के बाद ही इस पथ का उपयोग करें।

 एक राज कर्मचारी ने तिलकधारी व्यक्ति को देखकर कहा। वह महान ज्ञानी अष्टावक्र थे।

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राजा की सुविधा के लिए नागरिकों को परेशान किया जाना अनुचित है। मैं इस पथ से कदापि नहीं हटूंगा -उन्होंने निर्भीकता पूर्वक उत्तर दिया।

क्रोधित राज कर्मचारी उन्हें पकड़कर दरबार में ले गए। राजा जनक सामने उन्हें पेश किया गया। जनक जी ने जब सारा किस्सा सुना तो वह सिंहासन से उठे और गुरु अष्टावक्र जी के चरणों में गिर पड़े।

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 बोले- “महाराज, मुझे आप जैसे निर्भीक ब्राह्मण की आवश्यकता है, जो राजा को उसका कर्तव्य-बोध कराता रहे।”
 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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